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Prithvi 2 Ballistic Missile: पृथ्वी-2 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण, जानें-इसकी खासियत

Prithvi-2 Ballistic Missile यह पहली मिसाइल है जिसे डीआरडीओ ने इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत तैयार किया है। यह 1000 किलोग्राम तक अस्त्र धोने की ताकत रखती है। यह मिसाइल सतह से सतह पर 500 किलोमीटर की दूरी तक मार करने की ताकत रखती है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Fri, 16 Oct 2020 08:53 PM (IST)Updated: Fri, 16 Oct 2020 09:20 PM (IST)
Prithvi 2 Ballistic Missile: पृथ्वी-2 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण, जानें-इसकी खासियत
भारत ने पृथ्वी-2 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है।

बालेश्वर, लावा पांडे। Prithvi-2 Ballistic Missile: भारत ने ओडिशा के बालासोर जिले के चांदीपुर अंतरिम परीक्षण परिसर आइटीआर से पृथ्वी-2 बैलिस्टिक मिसाइल का शुक्रवार शाम 7:30 बजे सफल परीक्षण किया गया। डीआरडीओ रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन की ओर से विकसित पृथ्वी-2 मिसाइल का परीक्षण चांदीपुर आइटीआर के लॉचिंग कॉम्प्लेक्स 3 से सफलतापूर्वक किया गया। यह पहली मिसाइल है, जिसे डीआरडीओ ने इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत तैयार किया है। यह मिसाइल 1000 किलोग्राम तक अस्त्र धोने की ताकत रखती है। देश में बनाई गई यह मिसाइल सतह से सतह पर 500 किलोमीटर की दूरी तक मार करने की ताकत रखती है।

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इस मिसाइल को तरल ईंधन वाले दो इंजन लगाए गए हैं। इसे तरल और ठोस दोनों तरह के ईंधन से संचालित किया जा सकता है। यह मिसाइल परंपरागत और परमाणु दोनों तरह के हथियार ले जाने में सक्षम है। 8.56 मीटर लंबी 1.1 मीटर चौड़ी और 4600 किलोग्राम वजन वाली यह मिसाइल 483 सेकेंड तक और 43.5 किलोमीटर की ऊंचाई तक उड़ान भर सकती है। इसके परीक्षण के मौके पर डीआरडीओ और आइटीआर से जुड़े वरिष्ठ वैज्ञानिकों और अधिकारियों का दल मौके पर मौजूद था। यह पहला मौका नहीं है, जब पृथ्वी मिसाइल को रात्रि कालीन परीक्षण किया गया है। इसके पहले कई कई बार पृथ्वी मिसाइल का रात्रि कालीन सफलतापूर्वक प्रायोगिक परीक्षण किया जा चुका है। मात्र 30 दिनों के भीतर ही भारत ने आठ नए और पुराने किस्म की मिसाइलों का सुबह और रात को सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। सूत्रों की मानें तो आने वाले और चंद दिनों में और कई नई किस्म के मिसाइलों और पुराने किस्म के मिसाइलों का प्रायोगिक परीक्षण भारत करेगा।

डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन) ने इन परीक्षणों से दुश्मन देश को कड़ा संदेश देने का काम किया है। जिन मिसाइलों का परीक्षण हुआ है उसकी खासियत है कि वह स्वदेशी तकनीक से बनाए गए हैं, साथ ही इनमें नई तकनीक का भी इस्तेमाल हुआ है। यह एक तरह से ये आत्मनिर्भर भारत को भी रेखांकित करता है।मिसाइलों का परीक्षण ओडिशा के दो तटवर्ती इलाकों से किया गया। पहला बालेश्वर के चांदीपुर से, जहां एक नंबर, दो नंबर व तीन नंबर लांचिंग कांपलेक्स है। दूसरा, अब्दुल कलाम द्वीप, जहां पर चार नंबर लां¨चग कांपलेक्स है। मिसाइलों के परीक्षण का सिलसिला सात सितंबर, 2020 से शुरू हुआ था। इस दिन एचएसटीवीडी मिसाइल का दूसरी बार सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था। इसका पहला परीक्षण पिछले वर्ष किया गया था। दूसरी मिसाइल लेजर गाइडेड एंटी टैंक मिसाइल का परीक्षण 22 सितंबर को किया गया। इसके बाद 23 सितंबर को रात में पृथ्वी मिसाइल का परीक्षण किया गया।

चौथा परीक्षण 30 सितंबर को ब्रह्माोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का किया गया। पांचवां परीक्षण एक अक्टूबर, 2020 को लेजर गाइडेड एंटी टैंक मिसाइल का किया गया। छठा परीक्षण तीन अक्टूबर को शौर्य मिसाइल का किया गया। सातवां परीक्षण पांच अक्टूबर को स्मार्ट वेपन सिस्टम यानी सुपर सोनिक मिसाइल असिस्टेंट रिलीज आफ टॉरपीडो का किया गया। आठवां परीक्षण नौ अक्टूबर, 2020 को रूद्रम मिसाइल का किया गया। सभी परीक्षण सफल रहे। ये सभी मिसाइल जल, थल और वायु सेनाओं को ताकतवर बनाने वाले हैं।


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