अग्नि-दो का सफल परीक्षण, 2000 किमी. तक है मारक क्षमता
क्या है बैलेस्टिक प्रक्षेपास्त्र तकनीकी दृष्टिकोण से बैलेस्टिक प्रक्षेपास्त्र या मिसाइल उस प्रक्षेपास्त्र को कहते हैं, जिसका प्रक्षेपण पथ सब अर्बिटल बैलेस्टिक पथ होता है।
बालेश्वर, लावा पाण्डे। भारतीय सेना ने मंगलवार को परमाणु हमला करने में सक्षम अग्नि-2 मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। ओडि़शा केअब्दुल कलाम द्वीप (ह्वीलर द्वीप) स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (आईटीआर) से इसका प्रक्षेपण किया गया। यह मिसाइल 2000 किमी. तक मार कर सकती है। इसके साथ ही पाकिस्तान, चीन, दक्षिण पूर्व एशिया इस मिसाइल के जद में आ गए हैं। अग्नि दो का विकास रक्षा विकास और अनुसंधान संगठन (डीआरडीओ) की प्रयोगशालाओं और भारत डायनेमिक हैदराबाद के साथ मिलकर एडवांस सिस्टम प्रयोगशाला ने किया है।
सतह से सतह पर मार करने वाली मध्यम दूरी की इस मिसाइल का परीक्षण आईटीआर के लंच कांप्लेक्स-4 द्वारा रेल मोबाइल प्रणाली से सुबह 8:38 बजे किया गया है। स्वदेश निर्मित 21 मीटर लम्बी यह मिसाइल एक मीटर चौड़ी, 17 टन वजन की है। यह एक हजार किग्रा. तक का भार वहन कर सकती है। यह दो स्तर के ठोस इंधन द्वारा संचालित बैलेस्टिक मिसाइल है। डीआरडीओ की मदद से सेना के सामरिक बल कमान ने इसका परीक्षण किया है।
यह मिसाइल अग्नि श्रृंखला का एक हिस्सा है। अग्नि-1 और अग्नि-2 मिसाइल सेना में शामिल की जा चुकी है। अग्नि-2 मिसाइल का पहला परीक्षण 11 अप्रैल 1999 को किया गया था। आज इसके परीक्षण के मौके पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और अंतरिम परीक्षण परिषद (आईटीआर) से जुड़े वैज्ञानिकों एवं अधिकारियों का भारी दल मौके पर मौजूद था। सूत्रों की माने तो आने वाले दिनों में और कई मिसाइल का परीक्षण करने की सम्भावना है।
क्या है बैलेस्टिक प्रक्षेपास्त्र तकनीकी दृष्टिकोण से बैलेस्टिक प्रक्षेपास्त्र या मिसाइल उस प्रक्षेपास्त्र को कहते हैं, जिसका प्रक्षेपण पथ सब अर्बिटल बैलेस्टिक पथ होता है। इसका उपयोग किसी हथियार (प्राय: नाभकीय अस्त्र) को किसी पूर्व निर्धारित लक्ष्य पर दागने के लिए किया जाता है। यह मिसाइल अपने प्रक्षेपण के प्रारंभिक चरण में ही केवल गाइड की जाती है, इसके बाद बाद का पथ अर्बिटल मैकेनिक के सिद्धांतों एवं बैलेस्टिकसिद्धांतों से निर्धारित होता है। अभी तक इन्हें रासायनिक राकेट इंजन द्वारा प्राणोदित किया जाता है।