सफल रही जरदारी की दरगाह कूटनीति
पाकिस्तान और अमेरिकी मीडिया ने पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की भारत यात्रा को दूरगामी और दोनों देशों के संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाली बताया है। पाक मीडिया ने तो एक कदम आगे बढ़ते हुए जरदारी की दरगाह कूटनीति की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए उसे सफल बताया। पाकिस्तान के ज्यादातर समाचार पत्रों में पहले पृष्ठ पर जरदारी और भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की एक-दूसरे का हाथ थामे फोटो प्रमुखता से प्रकाशित की गई है।
नई दिल्ली। पाकिस्तान और अमेरिकी मीडिया ने पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की भारत यात्रा को दूरगामी और दोनों देशों के संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाली बताया है। पाक मीडिया ने तो एक कदम आगे बढ़ते हुए जरदारी की दरगाह कूटनीति की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए उसे सफल बताया। पाकिस्तान के ज्यादातर समाचार पत्रों में पहले पृष्ठ पर जरदारी और भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की एक-दूसरे का हाथ थामे तस्वीरें प्रमुखता से प्रकाशित की गई हैं। पाक मीडिया ने इस दौरान जरदारी के पुत्र बिलावल भुट्टो को भी कवरेज देने में कंजूसी नहीं बरती।
वहीं, अमेरिकी मीडिया ने कहा कि जरदारी की यात्रा से कुछ सकारात्मक संकेत मिले और उनका ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर जाना इस्लामी चरमपंथियों के लिए एक संदेश है।
पाकिस्तान के अंग्रेजी समाचारपत्र पाकिस्तान टुडे ने लिखा है कि जरदारी की दरगाह कूटनीति सफल रही। भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा उनके पाक दौरे का निमंत्रण स्वीकार करना दोनों देशों के संबंधों के बीच मजबूती के नए आयाम स्थापित करेगा। राष्ट्रपति की निजी यात्रा के दौरान सभी मुद्दों पर खुलकर बातचीत होना एक सकारात्मक संकेत है।
उर्दू अखबार रोजनामा एक्सप्रेस ने लिखा है कि मनमोहन सिंह सितंबर में पाक यात्रा पर आ सकते हैं और जिसके लिए विदेश मंत्री एसएम कृष्णा जल्द ही पाकिस्तान आएंगे।
एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी की फोटो और समाचार को पहले पन्ने पर प्रकाशित किया है। उसने लिखा है कि सत्ताधारी दल पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने राहुल से मुलाकात की और उन्हें पाक आने का न्योता भी दिया, जिसको स्वीकार भी कर लिया गया।
'द नेशन' ने राहुल गांधी को भी प्रमुखता देते हुए लिखा है कि इस दौरान दो राजनीतिक परिवारों की नई पीढ़ी को मिलने का अवसर मिला। बिलावल का निमंत्रण राहुल द्वारा स्वीकार करना दोनों देशों के संबंधों के लिए महत्वपूर्ण है।
अमेरिकी समाचार पत्र लॉस एंजिलिस टाइम्स ने दिल्ली से भेजे गए एक समाचार में कहा है, 'किसी उपलब्धि की घोषणा नहीं की गई, लेकिन दोनों पक्षों ने विश्व की सर्वाधिक खतरनाक सीमाओं पर तनाव कम करने के संकेत के रूप में इस बैठक की सराहना की है।' दैनिक ने कहा, 'रविवार का दौरा एक बड़ा संकेत था, बेशक इससे कुछ हासिल नहीं हुआ हो।'
लॉस एंजिलिस टाइम्स, वाशिगटन पोस्ट और द न्यूयार्क टाइम्स ने मनमोहन को जरदारी की ओर से पाक यात्रा के लिए दिए गए निमंत्रण का विशेष उल्लेख किया है।
न्यूयार्क टाइम्स ने कहा है, 'अब सवाल यह है कि सिंह कितनी जल्द पाक जा पाएंगे, जो ऐसी यात्रा होगी जिसे बहुत से विश्लेषक किसी बड़ी कूटनीतिक उपलब्धि के लिए मददगार मानते हैं। अखबार ने लिखा है, 'करीब आठ साल पहले पद संभालने के समय से ही वह [मनमोहन सिंह] पाक जाने की अकसर इच्छा व्यक्त करते रहे हैं, लेकिन देश के राजनीतिक कारणों और देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों की वजह से वह अब तक पाक यात्रा नहीं कर पाए हैं।
वाशिगटन पोस्ट ने कहा है कि यदि कुछ भी हासिल नहीं हुआ हो तब भी राजस्थान के अजमेर में सूफी संत की दरगाह पर उनकी [जरदारी] जियारत से इस्लामी चरमपंथ के खिलाफ एक संदेश जाता है। अखबार ने लिखा है कि पाक में आत्मघाती बम हमलावर अपने इस आतंकी विचार के प्रसार के लिए बार-बार सूफी संतों की दरगाहों पर श्रद्धालुओं को निशाना बनाते रहे हैं कि ये स्थल [दरगाह] इस्लामी सिद्धातों का उल्लंघन करते हैं।
सूफीवाद के लिए काम करने वाले भारतीय कार्यकर्ता सलीम महाजन के हवाले से कहा गया, 'जब हर जगह कट्टरपंथियों के हावी होने की आशकाएं हैं तो ऐसे समय इस तीर्थस्थल पर आना जरदारी का एक साहसिक कदम है।' उन्होंने कहा कि वह इस्लाम की सहिष्णुता और भाईचारे की भावना के बारे में अच्छा संकेत भेज रहे हैं।
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