मानव डीएनए के पेटेंट की इजाजत नहीं
मानव जीन के बारे में पहली बार एक व्यवस्था आई है। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को सर्वसम्मति से फैसला दिया कि मानव शरीर से निकाले गए डीएनए को पेटेंट नहीं कराया जा सकता लेकिन कृत्रिम ढंग से तैयार किए गए जेनेटिक पदार्थ पेटेंट कराए जा सकते हैं। नौ जजों के इस फैसले को साल्टलेक स्थित जैव प्रौद्योगि
वाशिंगटन। मानव जीन के बारे में पहली बार एक व्यवस्था आई है। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को सर्वसम्मति से फैसला दिया कि मानव शरीर से निकाले गए डीएनए को पेटेंट नहीं कराया जा सकता लेकिन कृत्रिम ढंग से तैयार किए गए जेनेटिक पदार्थ पेटेंट कराए जा सकते हैं।
नौ जजों के इस फैसले को साल्टलेक स्थित जैव प्रौद्योगिकी कंपनी मैरियाड जेनेटिक्स के लिए आंशिक जीत माना जा रहा है। जिस पेटेंट पर सवाल उठाया गया है उसका अधिकार इसी कंपनी के पास है। मानवाधिकार संगठनों ने इस कंपनी के पेटेंट को चुनौती दी है और इस फैसले से उन्हें भी खुश होने का कारण मिल गया है। मैरियाड ने बीआरसीए1 और बीआरसीए 2 नाम के दो जीनों को सफलतापूर्वक अलग करके पेटेंट कराया था। जांच में पता चला था कि ये जीन से ब्रेस्ट कैंसर के खतरे का पता लगाने में मददगार हैं। मैरियाड ने संभावित ब्रेस्ट कैंसर की जांच शुरू की थी। यह कंपनी इस साल तब दुनिया भर में चर्चा में आई जब हालीवुड की मशहूर अभिनेत्री एंजेलिना जौली ने घोषणा की कि उन्होंने दो बार ऑपरेशन कराकर अपना वक्ष हटवाया क्योंकि जांच में उन्हें पता चला था कि उन्हें ब्रेस्ट कैंसर का खतरा है।
21वीं सदी में अदालत के समक्ष यह विवादास्पद मुद्दा आया कि क्या मानव जीन को कभी पेटेंट कराया जा सकता है? इसका अर्थ है कि जो व्यक्ति इसका पेटेंट पाएगा एक खास अवधि के लिए यह उसकी बौद्धिक संपदा मानी जाएगी। अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि वैज्ञानिकों द्वारा कृत्रिम ढंग से तैयार जेनेटिक पदार्थ जिन्हें सीडीएनए के रूप में जाना जाता है उसे पेटेंट कराया जा सकता है। अदालत के इस फैसले का मैरियाड पर बहुत कम प्रभाव पड़ेगा क्योंकि उसके सारे पेटेंट विवादों की समय सीमा 2015 में समाप्त हो जाएगी।
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