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ओबामा ने अफगानिस्तान से सेना वापसी का किया एलान

राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अफगानिस्तान से सेना को वापस बुलाने का एलान कर दिया है। उन्होंने व्हाइट हाउस में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि अगले साल अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की संख्या घटकर सिर्फ 9,800 रह जाएगी। इसके एक साल बाद यानी 2016 में अमेरिका का इरादा सभी सैनिकों को वापस बुला लेने का है।

By Edited By: Published: Wed, 28 May 2014 09:24 AM (IST)Updated: Thu, 29 May 2014 12:56 AM (IST)
ओबामा ने अफगानिस्तान से सेना वापसी का किया एलान

वाशिंगटन। राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अफगानिस्तान से सेना को वापस बुलाने का एलान कर दिया है। उन्होंने व्हाइट हाउस में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि अगले साल अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की संख्या घटकर सिर्फ 9,800 रह जाएगी। इसके एक साल बाद यानी 2016 में अमेरिका का इरादा सभी सैनिकों को वापस बुला लेने का है।

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ओबामा ने मंगलवार को कहा कि अमेरिकी सैनिकों की संख्या घटाने का यह फैसला दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सुरक्षा करार पर निर्भर करेगा। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद से ज्यादा समय तक अफगानिस्तान में रहना पड़ा। मगर अब उस काम को खत्म करने का समय आ गया है। 2015 की शुरुआत में हमारे 9,800 सैनिकों के अलावा अफगानी जमीन पर केवल नाटो के सहयोगी सैनिक ही रह जाएंगे। 2016 तक काबुल में हमारी उपस्थित केवल सुरक्षा सहायता के साथ दूतावास के रूप में रह जाएगी जैसा हमने इराक में किया था। इस समय अमेरिका ने 32 हजार सैनिकों को वहां तैनात किया हुआ है। राष्ट्रपति ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मदद अफगानियों को मिलती रहेगी ताकि वे अपने हिसाब से देश में विकास कर सकें। द्विपक्षीय समझौते को अनिवार्य बताते हुए उन्होंने उम्मीद जताई कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति चुनाव में जीतने वाला उम्मीदवार इस समझौते पर दस्तखत करने के लिए तैयार हो जाएगा। ओबामा की इस घोषणा का उनके कैबिनेट सहयोगियों और सांसदों ने स्वागत किया है। विदेश मंत्री जॉन केरी ने कहा है कि वह राष्ट्रपति के सैनिकों की संख्या सीमित करने के फैसले का समर्थन करते हैं।

अमेरिकी सैनिकों की वापसी का भारत पर असर

वाशिंगटन। ओबामा द्वारा अमेरिकी सैनिकों को अफगानिस्तान से पूरी तरह वापस बुलाने के फैसले से भारत की चिंताएं बढ़ना स्वाभाविक है। भारत के सामने कई चुनौतियां मुंह खोले खड़ी हैं। पहला तो अब नई दिल्ली के पास काबुल में अपने हितों की रक्षा को मजबूत बनाने के लिए केवल तीन साल का समय है। दूसरा अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद तालिबान और अलकायदा के आतंकियों का निशाना एक बार फिर भारत बनेगा। वे घर और बाहर दोनों जगह भारतीय नागरिकों एवं प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने की कोशिश करेंगे।

तीसरा पाकिस्तान को अमेरिका से मिलने वाली वित्तीय मदद न के बराबर हो जाएगी। इसके चलते पहले से ही आर्थिक संकट में फंसे पाकिस्तान की समस्या और विकराल हो जाएगी और वहां की सरकार लोगों का ध्यान भटकाने के लिए भारत के खिलाफ आक्रामक हो सकती है। इसका नतीजा अफगानिस्तान में भारत की मौजूदगी पर पड़ सकता है। पाक सेना और आइएसआइ ने पहले भी कई बार अफगानिस्तान में भारतीय हितों पर हमले करवाए हैं।

पढ़ें: अफगानिस्तान में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमला

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