अमेरिका में सिख को कृपाण के साथ जूरी की ड्यूटी करने से रोका
अमेरिका की कैलिफोर्निया की एक अदालत में जूरी के तौर पर काम करने वाले एक सिख शख्स को कृपाण के साथ ड्यूटी पर जाने की इजाजत नहीं दी गई। गुरसंत सिंह ने कहा कि वह अगले हफ्ते अदालत में जूरी की ड्यूटी करने के लिए समुदाय के नेताओं के साथ जाएंगे और कृपाण के साथ अपनी ड्यूटी का निर्वहन करने की अनुमति मांगेंगे, जो सिख मजहब की आस्था से जुड़ा है।
वाशिंगटन। अमेरिका की कैलिफोर्निया की एक अदालत में जूरी के तौर पर काम करने वाले एक सिख शख्स को कृपाण के साथ ड्यूटी पर जाने की इजाजत नहीं दी गई। गुरसंत सिंह ने कहा कि वह अगले हफ्ते अदालत में जूरी की ड्यूटी करने के लिए समुदाय के नेताओं के साथ जाएंगे और कृपाण के साथ अपनी ड्यूटी का निर्वहन करने की अनुमति मांगेंगे, जो सिख मजहब की आस्था से जुड़ा है।
उन्होंने तीन दशक पहले सिख मजहब को अपना लिया था। सिंह ने स्थानीय सीबीएस न्यूज को बताया कि अमेरिकी नागरिक के तौर मुझे दृढ़ता से महसूस होता है कि मुझे जूरी के तौर पर अपने दायित्व का निर्वहन करने के लिए सक्षम होना चाहिए। सिंह ने कहा कि उन्होंने मुझे ऐसी स्थिति में डाल दिया है जहां या तो मैं अपने धर्म की आचार संहिता का उल्लंघन करूं या फिर कानून को तोडं़ू।
हालांकि, अदालत ने सिंह को कृपाण के साथ अदालत के कमरे में जूरी ड्यूटी करने की आज्ञा नहीं देने के अपने कदम को उचित बताया। सटर काउंटी की जूरी आयुक्त मेरी बेथ टॉड ने समाचार चैनल से कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि जो लोग कार्यवाही सुनने आते हैं उन्हें सुरक्षित वातावरण मुहैया कराया जाए।
उन्होंने कहा कि वे सिंह को अन्य विकल्प देने की कोशिश कर रहे हैं। टॉड ने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम इसके प्रति संवेदनशील हों और हम इसके प्रति संवेदनशील होने की कोशिश कर रहे हैं। हम ऐसा उपाय निकालने का प्रयास कर रहे हैं, जो दोनों पक्षों के लिए कारगर हो।
वहीं, नॉर्थ अमेरिकन पंजाबी एसोसिएशन (एनएपीए) ने एक बयान जारी करके सभी सरकारी एजेंसियों से आग्रह किया है कि वे देश के कानून का सम्मान करें और सुरक्षा के नाम पर कानून का उल्लंघन नहीं करें।
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