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करजई के पद से हटने का इंतजार कर रहा अमेरिका

अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई द्वारा सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर न करने से अमेरिका बेहद निराश है। इस साल के आखिरी में अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद वहां पर अपनी सैन्य मौजूदगी के संबंध में समझौते को लेकर वह करजई के पद से हटने तक इंतजार करेगा। वॉल स्ट्रीट जर्नल की सोमवार को प्रकाशित रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

By Edited By: Published: Tue, 11 Feb 2014 04:42 PM (IST)Updated: Tue, 11 Feb 2014 04:45 PM (IST)
करजई के पद से हटने का इंतजार कर रहा अमेरिका

वाशिंगटन। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई द्वारा सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर न करने से अमेरिका बेहद निराश है। इस साल के आखिरी में अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद वहां पर अपनी सैन्य मौजूदगी के संबंध में समझौते को लेकर वह करजई के पद से हटने तक इंतजार करेगा। वॉल स्ट्रीट जर्नल की सोमवार को प्रकाशित रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

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एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी के हवाले से अखबार ने कहा, 'माना जा रहा है कि करजई समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे। वह अफगानी लोगों की आवाज का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे हैं।' हालांकि ह्वाइट हाउस ने कहा है कि वह इस साल के आखिरी में अमेरिकी सेना की वापसी के बाद अफगानी बलों के प्रशिक्षण और आतंकवाद से मुकाबले के लिए दस हजार से ज्यादा सैनिकों को वहां पर तैनात रखने के बयान पर कायम है। इसके साथ ही 11 सिंतबर, 2001 को अमेरिका पर हुए आतंकी हमले के बाद अफगानिस्तान में शुरू हुआ मिशन 13 साल बाद समाप्त हो जाएगा। करजई ने फिलहाल द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर करने से इन्कार कर दिया है।

ह्वाइट हाउस का कहना है कि द्विपक्षीय समझौते की अनुपस्थिति में साल के आखिर में पूरी अमेरिकी सेना की वापसी हो जाएगी। इस संबंध में करजई को जल्द से जल्द फैसला लेने की जरूरत है। वहीं करजई का कहना है कि अप्रैल में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव तक समझौते के लिए इंतजार किया जा सकता है। हाल ही में नाटो प्रमुख फॉग रास्मुसेन ने कहा था कि करजई के इस समझौते पर हस्ताक्षर करने की संभावना नहीं है। वह इसे अपने उत्तराधिकारी की पसंद पर छोड़ सकते हैं।

अफगानिस्तान में राष्ट्रपति चुनाव के लिए अभियान प्रारंभ

अखबार के मुताबिक अमेरिकी सैनिकों की वापसी को लेकर रक्षा मंत्रालय द्वारा गत जनवरी में पेश किए संशोधित कार्यक्रम के तहत इस साल के बाद करीब दस हजार सैनिकों को अफगानिस्तान में तैनात रखने की योजना है। इन सभी सैनिकों को राष्ट्रपति बराक ओबामा का 2017 की शुरुआत में दूसरा कार्यकाल पूरा होने से पहले वापस बुलाने की योजना है।

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