मोसुल को आजाद कराने के बाद संवाद का हो इस्तेमाल: UN
मोसुल में इराकी सेना और आइएस की लड़ाई पर संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि मानवीय पक्ष पर इराकी सेना को ध्यान देना चाहिए ।
नई दिल्ली(आइएएनएस)। इराक के सबसे बड़े शहर मोसुल को आतंकी संगठन आइएस से आजाद कराने के लिए इराकी सेना निर्णायक जंग लड़ रही है। लेकिन संयुक्त राष्ट्र संघ के असिस्टेंट मिशन फॉर इराक ने कहा कि आइएस के चंगुल से मोसुल को आजाद कराने के लिए संवाद का इस्तेमाल होना चाहिए। यूएन प्रवक्ता स्टीफेन जुआरिक ने कहा कि आइएस से मोसुल को आजाद कराने के बाद ऐसी व्यवस्था अपनानी होगी जो समाज के सभी तबकों को स्वीकार्य हो।
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक इराकी सेना की कार्रवाई में अभी बड़े पैमाने पर नागरिकों के विस्थापन नहीं हुआ है। लेकिन जंग के बीच जो लोग फंसे हुए हैं उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी के साथ उनकी दैनिक जरुरतों को भी देखना है। उन्होंने कहा कि एक अनुमान के मुताबिक सेना और आइएस के खिलाफ लड़ाई में करीब दो लाख लोग विस्थापित हो सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र की तरफ से उन लोगों की पहचान की जा रही है जिन्हें मदद की सबसे ज्यादा दरकार है। स्टीफेन जुआरिक ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र लगातार हालात पर नजर रख रहा है।
मोसुल में बचने के लिए नागरिकों को ढाल की तरह इस्तेमाल कर रहा IS
मोसुल शहर इराक की राजधानी बगदाद से करीब 400 किमी दूर एक मशहुर शहर है। करीब तीन हजार साल पहले यह शहर शिक्षा का प्रसिद्ध केंद्र था। वर्ष 2014 से मोसुल आइएसआइएस के कब्जे में है। आइएस के हमले में इराकी सेना ने इस इलाके को करीब-करीब खाली कर दिया था। लेकिन अब इराकी सरकार मोसुल पर दोबारा नियंत्रण स्थापित करने की कोशिश कर रही है।