फिर संकट में पाक नेतृत्व
इस्लामाबाद [कमल कान्त वर्मा]। पाकिस्तान पर एक बार फिर से राजनैतिक संकट गहराता दिखाई दे रहा है। इसकी वजह बना है पाक सुप्रीम कोर्ट का वह नोटिस जिसमें अदालत ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ से राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ मामले न चलाए जाने का कारण पूछा है। अदालत ने यह नोटिस उसकी अवमानना मामले में भेजा है
इस्लामाबाद। पाकिस्तान पर एक बार फिर से राजनैतिक संकट गहराता दिखाई दे रहा है। इसकी वजह बना है पाक सुप्रीम कोर्ट का वह नोटिस जिसमें अदालत ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ से राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ मामले न चलाए जाने का कारण पूछा है। अदालत ने यह नोटिस उसकी अवमानना मामले में भेजा है। अदालत के इस नोटिस ने पाकिस्तान में कुछ माह पूर्व घटे उस घटनाक्त्रम की याद दिला दी है जिसके तहत तत्कालीन प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी थी।
अदालत ने राजा परवेज अशरफ को नोटिस भेजकर खुद 27 अगस्त को अदालत के समक्ष पेश होने के भी आदेश दिए हैं। अदालत जानना चाहती है कि उसके आदेश के बाद भी राष्ट्रपति के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले क्यों नहीं खोले गए हैं, या फिर इस बाबत सरकार ने अभी तक क्या कदम उठाए हैं।
दरअसल पाक कोर्ट सरकार के खिलाफ इतना सख्त पहले कभी नहीं हुआ था। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा पाक नेतृत्व के ऊपर इस तरह की तलवार टाकने के बेहद कम ही उदाहरण दिखाई देते हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पाक की दिवंगत प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो को एक मामले में दोषी ठहराया था। बेनजीर भुट्टो के पिता और पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फीकार अली भुट्टो को भी पाक सुप्रीम कोर्ट ने फासी की सजा सुनाई थी लेकिन इसको कोर्ट की आड़ में पाक तानाशाह जिया उल हक का फरमान माना गया था। लेकिन ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि पाकिस्तान के किसी प्रधानमंत्री को शीर्ष कोर्ट द्वारा अयोग्य करार देकर पद से हटाया गया हो।
हालिया मामले में भी कोर्ट ने एक बार फिर से वही संकेत देने की कोशिश की है। कोर्ट ने सरकार को वह तमाम बातें याद दिलाने की कोशिश की है जिसके तहत गिलानी को अपनी कुर्सी खोनी पड़ी थी। लेकिन इस नोटिस ने अब एक बार फिर से सरकार की पेशानी पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री राजा अशरफ को इस मामले में बचाने के लिए अब वह कानून भी बेकार होता दिखाई दे रहा है जिसके तहत पाक संसद ने अदालत द्वारा देश में शीर्ष पदों पर बैठे लोगों पर अवमानना मामले न चलाए जाने को लेकर बिल पास किया था। संसद द्वारा पास किए गए इस बिल को भी पाक सुप्रीम कोर्ट अमान्य और असंवैधानिक करार दे चुका है। लिहाजा राजा की मुश्किलें बढऩी तय मानी जा सकती हैं।
राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ मामले खोलने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बेहद सख्त रवैया अपनाया हुआ है। लेकिन वह खुद इस मामले में कोई कार्रवाही नहीं कर सकता है, लिहाजा वह इस मामले में सरकार पर निर्भर है। सरकार पहले से ही कहती रही है कि वह इस मामले में कुछ नहीं कर सकती है क्योंकि पाकिस्तान के संविधान में राष्ट्रपति पर किसी को भी मुकदमा चलाने का कोई अधिकार प्राप्त नहीं है। हालाकि इस दलील को सुप्रीम कोर्ट हर बार ठुकराता रहा है।
इससे पहले माना जा रहा था कि पाक सुप्रीम कोर्ट ने गिलानी को इस वजह से घेरना शुरू किया था क्योंकि उन्होंने चीफ जस्टिस इफ्तिखार चौधरी के बेटे के खिलाफ मामला चलाने की अनुमति दी थी। लेकिन फिलहाल ऐसी कोई बात नहीं दिखाई नहीं दे रही हैं।
अदालत और सरकार के बीच चल रही इस लड़ाई से पाक में एक बार फिर से राजनैतिक संकट घिरता दिखाई दे रहा है। ऐसी स्थिति पाकिस्तान के लिए बेहद घातक साबित हो सकती है। एक तरफ पाक पीएम के ऊपर कोर्ट की तलवार और दूसरी तरफ पाकिस्तान के कई बड़े दूसरी समस्याएं पाक को अस्थिरता की राह पर धकेल सकती हैं। मौजूदा दौर में पाक की आर्थिक हालत भी बेहतर नहीं है। ऐसे में कोर्ट किसी भी विपरीत आदेश का पाकिस्तान के आर्थिक और सामाजिक स्तर पर असर भी जरूर दिखाई देगा।
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