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जनक्रांति के बाद अरब देशों में बढ़ा भ्रष्टाचार

दुबई। वर्ष 2011 में जनक्रांतियां शुरू होने के बाद ज्यादातर अरब देशों में भ्रष्टाचार बढ़ा है। इन जनक्रांतियों का प्रमुख कारण भ्रष्ट अधिकारियों के प्रति लोगों का गुस्सा है। गैर सरकारी संगठन ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा दुनियाभर के देशों में रिश्वतखोरी को लेकर किए गए सर्वेक्षण के नतीजों में यह बात कही गई है।

By Edited By: Published: Tue, 09 Jul 2013 07:42 PM (IST)Updated: Tue, 09 Jul 2013 07:46 PM (IST)
जनक्रांति के बाद अरब देशों में बढ़ा भ्रष्टाचार

दुबई। वर्ष 2011 में जनक्रांतियां शुरू होने के बाद ज्यादातर अरब देशों में भ्रष्टाचार बढ़ा है। इन जनक्रांतियों का प्रमुख कारण भ्रष्ट अधिकारियों के प्रति लोगों का गुस्सा है। गैर सरकारी संगठन ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा दुनियाभर के देशों में रिश्वतखोरी को लेकर किए गए सर्वेक्षण के नतीजों में यह बात कही गई है।

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मंगलवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक मिस्र, ट्यूनीशिया और यमन के लोग सबसे ज्यादा हताश हैं। इन्हें उम्मीद थी कि जनक्रांति के परिणामस्वरूप उनके देश में सुशासन आएगा, लेकिन उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया। गत सितंबर से मार्च तक हुए सर्वे में इन देशों के एक-एक हजार नागरिकों को शामिल किया गया था।

मिस्र के 64 फीसद लोगों का मानना है कि उनके देश में भ्रष्टाचार चरम पर है, जबकि ट्यूनीशिया में ऐसी धारणा रखने वालों की तादाद 80 प्रतिशत है। हालांकि लीबिया के लोगों का मत थोड़ा अलग है। वहां के 46 फीसद नागरिकों ने ही माना कि उनके देश में भ्रष्टाचार बढ़ा है। मिस्र के 78 फीसद लोगों का कहना है, उनके देश की पुलिस पहले की अपेक्षा ज्यादा भ्रष्ट हुई है, जबकि 65 प्रतिशत ने न्यायतंत्र और 45 फीसद नागरिकों ने सेना में भ्रष्टाचार की बात कही। मिस्र में हाल में ही सैन्य तख्तापलट के बाद सेना ने अंतरिम राष्ट्रपति की नियुक्त की है। रिपोर्ट के मुताबिक लेबनान में 84 फीसद लोगों ने माना कि उनके देश में पिछले दो साल के दौरान भ्रष्टाचार तेजी से पनपा है। मोरक्को और में इराक में क्रमश: 56 एवं 60 प्रतिशत नागरिकों ने भ्रष्टाचार बढ़ने की बात मानी।

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