Move to Jagran APP

भारी पड़ी जिहादियों को पालने की नीति

आसिफ जरदारी के समय अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत रहे हुसैन हक्कानी का मानना है कि पेशावर पर आतंकी हमले के बावजूद ऐसा नहीं लगता कि पाकिस्तान पड़ोसी देशों अफगानिस्तान और भारत को चुनौती देने के लिए जिहादियों को गले लगाने की अपनी नीति को छोड़ेगा।

By Murari sharanEdited By: Published: Wed, 17 Dec 2014 06:50 PM (IST)Updated: Wed, 17 Dec 2014 07:05 PM (IST)
भारी पड़ी जिहादियों को पालने की नीति

नई दिल्ली [जागरण न्यूज नेटवर्क]। आसिफ जरदारी के समय अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत रहे हुसैन हक्कानी का मानना है कि पेशावर पर आतंकी हमले के बावजूद ऐसा नहीं लगता कि पाकिस्तान पड़ोसी देशों अफगानिस्तान और भारत को चुनौती देने के लिए जिहादियों को गले लगाने की अपनी नीति को छोड़ेगा। उनके मुताबिक पाकिस्तानी सेना और उसकी खुफिया एजेंसी अभी इस धारणा से ग्रस्त हैं कि उनके देश को सबसे बड़ा खतरा भारत से है।

loksabha election banner

आम पाकिस्तानी भी साजिश की उन कहानियों पर भरोसा करते हैं कि अमेरिका और इजराइल भारत की मदद से उनके परमाणु हथियार छीनना चाहते हैं। हक्कानी ने सवाल किया है कि क्या पेशावर की घटना के बाद पाकिस्तान अपने घर में पल रहे संापों को मारने की जरूरत समझेगा? जिहादियों को पालने-पोसने की नीति पाकिस्तान को बहुत भारी पड़ रही है।

पेशावर की घटना पर हक्कानी ने हफिंगटन पोस्ट में लिखे एक लेख में कहा है कि अफगानिस्तान पर सोवियत संघ के हमले के दौरान पाकिस्तान ने अमेरिका से मिले हथियारों और पैसे का इस्तेमाल कश्मीर में आतंकवाद पनपाने के लिए भी किया। पाकिस्तान के लिए अपनी धरती पर आतंकियों को पनाह देने की नीति विनाशकारी साबित हुई।

जिहादी खुद को सही बताते हुए अपने हिसाब से काम करते हैं। आज पाकिस्तानी जिहादी अफगानिस्तान और भारत के साथ-साथ पाकिस्तान में भी कहर ढा रहे हैं। अब वे ईरान और चीन के लिए भी मुसीबत बन रहे हैं। हडसन इंस्टीट्यूट की दक्षिण और मध्य एशिया शाखा के निदेशक हक्कानी के अनुसार पाकिस्तान की पहचान में इस्लाम की प्रधानता के कारण सेक्युलर लोगों को खुद को इस्लाम का सिपाही बताने वालों के खिलाफ आम सहमति बनाने में मुश्किल होती है।

पढ़ें: पाकिस्तान से आतंकवाद को खत्म करके रहेंगे: शरीफ


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.