धरती को बचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने बनाया इतिहास
धरती को बचाने के लिए शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र ने इतिहास बनाया। कार्बन उत्सर्जन में कटौती की प्रतिबद्धता दोहराते हुए भारत सहित 171 देशों ने पेरिस जलवायु संधि पर हस्ताक्षर किए।
संयुक्त राष्ट्र, एपी । धरती को बचाने के लिए शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र ने इतिहास बनाया। कार्बन उत्सर्जन में कटौती की प्रतिबद्धता दोहराते हुए भारत सहित 171 देशों ने पेरिस जलवायु संधि पर हस्ताक्षर किए। इस दौरान करीब 60 देशों के राष्ट्र प्रमुख भी मौजूद थे। वैश्रि्वक संगठन के इतिहास में यह पहला मौका है जब किसी संधि पर पहले ही दिन एक साथ इतने सदस्य देशों ने हस्ताक्षर किया है। इससे पहले 1982 में 119 देशों ने एक साथ 'लॉ ऑफ द सी कन्वेंशन' पर दस्तख्त किए थे।
पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते पर भारत भी करेगा हस्ताक्षर
जलवायु परिवर्तन पर आयोजित इस हस्ताक्षर समारोह का संचालन संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने किया। उन्होंने दुनियाभर से आए नेताओं को संबोधित करते हुए कहा कि अब वह समय बीत गया है जब हम परिणाम की चिंता किए बगैर खतरनाक गैसों का उत्सर्जन करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारी प्रतिस्पर्धा समय के साथ है और यदि हम चूके तो आने वाली पीढ़ी को इसका गंभीर खामियाजा भुगतना पड़ेगा। भारत की ओर से संधि पर पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने हस्ताक्षर किए।
इस समारोह में बच्चों की भूमिका भी अहम थी। तंजानिया के 16 वर्षीय रेडियो जॉकी और यूनीसेफ के युवा प्रतिनिधि गेटड्र क्लीमेंट ने कार्यक्रम को संबोधित किया। स्कूली बच्चों ने कार्यक्रम की प्रस्तुति दी। अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी हस्ताक्षर करने के लिए अपनी पोती के साथ पहुंचे थे।
गौरतलब है कि बीते दिसंबर में फ्रांस की राजधानी पेरिस में 150 से ज्यादा देशों के प्रमुखों की मौजूदगी में इस संधि पर सहमति बनी थी। इसके तहत 2030 तक वैश्विक तापमान में दो डिग्री की कमी लाने का लक्ष्य तय किया गया है। जानकारों के अनुसार 2020 तक यह संधि अमल में आ सकता है। हालांकि कई देशों की संसद से औपचारिक तौर पर इस पर मुहर लगनी बाकी है।
विकसित देशों की होगी परीक्षा : जावड़ेकर
भारत ने कहा है कि पेरिस जलवायु संधि विकसित देशों के लिए परीक्षा होगी। इससे पता चलेगा कि कार्बन उत्सर्जन में कटौती और गरीबी उन्मूलन को लेकर उनकी कथनी और करनी एक जैसी रहती है या नहीं। पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संयुक्त राष्ट्र में सतत विकास पर आयोजित सत्र में कहा,' विकसित दुनिया की इसको लेकर परीक्षा होगी कि वे कैसे अपने यहां गैस उत्सर्जन में कमी करते है और विकासशील देशों को इसके लिए मदद उपलब्ध कराते हैं।' उन्होंने कहा कि सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने और विकसित देशों की ओर से मुहैया कराए गए धन के समुचित उपयोग को लेकर यह विकासशील देशों की भी परीक्षा लेगा।