मोसुल में यतीम बच्चे बने आइएस की ढाल
जुहूर के अनाथालय में काम कर चुके एक पूर्व कर्मचारी ने यह जानकारी दी है। लड़ाई के दौरान इस कर्मचारी के पांव में गोली लगी थी।
मोसुल, रायटर। इराक में अपने गढ़ मोसुल को बचाने की आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आइएस) की आखिरी लड़ाई में यतीम बच्चे उसकी ढाल बन गए हैं। इन बच्चों को 2014 में उत्तरी इराक पर काबिज होने के बाद आतंकी पूर्वी मोसुल के जुहूर स्थित अनाथालय में लाए थे। उस समय रोते-बिलखते ये बच्चे अपने माता-पिता के बारे में पूछ रहे थे। लेकिन, कट्टरपंथी शिक्षा के बाद अब परिजन उनकी नजर में धर्म भ्रष्ट हो चुके हैं।
जुहूर के अनाथालय में काम कर चुके एक पूर्व कर्मचारी ने यह जानकारी दी है। लड़ाई के दौरान इस कर्मचारी के पांव में गोली लगी थी। उसने बताया कि अक्टूबर में इराकी सेना का अभियान शुरू होने से पहले तक कुछ-कुछ हफ्तों के अंतराल पर अनाथालय में बच्चे लाए जाते थे। तीन से 16 साल के ऐसे ज्यादातर बच्चे शिया और यजीदी समुदाय के होते थे। लड़कों को लड़कियों और नवजातों से अलग कर दिया जाता था और उन्हें कट्टरपंथी शिक्षा दी जाती थी। शिया बच्चों को सुन्नी रिवाजों से परिचित कराया जाता था। अल्पसंख्यक यजीदी समुदाय के बच्चों का धर्म परिवर्तन कराया गया। इसके बाद बच्चों को मोसुल के पश्चिम में स्थित तेल अफार में हथियार चलाने, सिर कलम करने आदि का प्रशिक्षण दिया जाता था। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद बच्चों से आतंकियों की मदद या जासूसी का काम लिया जाता था।
मोसुल में सैन्य अभियान के बाद आइएस ने इन प्रशिक्षण केंद्रों को बंद कर दिया है। जुहूर के प्रशिक्षण केंद्र में बना स्विमिंग पूल अब कचरे से भरा है। यहां भारी मात्रा में कट्टरपंथी इस्लामी पुस्तकें भी मिली है। मोसुल में अभियान शुरू होने से कुछ हफ्ते पहले आइएस ने प्रशिक्षण कार्यक्रम रद कर बच्चों को तेल अफार एयरफील्ड की सुरक्षा के लिए भी भेजा था जहां अब सेना का कब्जा है। पूर्व कर्मचारी ने बताया, मैंने बच्चों से कहा था कि यदि तुम्हें सैनिक दिखाई दें तो हथियार डाल देना। उनसे कहना कि तुम यतीम हो। शायद वे तुम्हारी जिंदगी बख्श दें। गौरतलब है कि इससे पहले पूर्वी मोसुल में आइएस के आत्मघाती हमलों के वीडियो में भी बच्चे नजर आए थे।
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