पेशावर में यूनिवर्सिटी पर तहरीक-ए- तालिबान के हमला में 25 की मौत, चार अातंकी ढेर
पाकिस्तान के अशांत खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत की राजधानी पेशावर को आतंकियों ने सालभर बाद फिर से लहूलुहान कर दिया है। हमले में 25 लोगों की मौत की खबर है। वहीं 50 से अधिक लोग घायल हुए हैं। इसके साथ ही 4 आतंकियों के ढेर होने की भी सूचना मिली है।
पेशावर। पाकिस्तान के अशांत खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत की राजधानी पेशावर को आतंकियों ने सालभर बाद फिर से लहूलुहान कर दिया है। बुधवार को हथियारों से लैस चार तालिबानी हमलावरों ने बाशा खान विश्वविद्यालय पर हमला कर दिया। मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि बंदूकधारी चारसद्दा जिला स्थित विश्वविद्यालय में घुस गए और कक्षाओं एवं छात्रावासों में अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। वे छात्रों और शिक्षकों के सिर पर गोलियां बरसा रहे थे।
इस हमले में कई लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए। इनमें ज्यादातर संख्या छात्रों की है। हमले में रसायन विभाग के प्रोफेसर हामिद हुसैन भी मारे गए। आतंकी उनके क्लास में घुसे और सिर में गोली मारी। उनकी तत्काल मौत हो गई।
हमले के बाद पेशावर और आसपास के अस्पतालों में आपातकाल की घोषणा कर दी गई है। इसके अलावा इलाके के सभी स्कूलों को बंद कर दिया गया है। यह विश्वविद्यालय पेशावर से करीब 50 किलोमीटर दूर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। उल्लेखनीय है कि लगभग सालभर पहले 16 दिसंबर, 2014 में भी आतंकियों ने पेशावर के एक सैनिक स्कूल पर हमला कर डेढ़ सौ से अधिक लोगों को मार डाला था। उस समय भी ज्यादातर छात्र ही मारे गए थे।
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तालिबान ने कहा, बदला लिया
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। उसने कहा है कि पिछले एक साल के दौरान सेना द्वारा अपने लोगों की हत्या का बदला लेने के लिए उसने यह काम किया है। उसने आगे भी ऐसे हमले जारी रहने की चेतावनी भी दी है। मीडिया रिपोर्टो में कहा गया है कि आतंकवादियों की आयु 18 से 25 वर्ष के बीच थी। सांसद अरशद अली ने बताया कि हमलावर विश्वविद्यालय की दीवारें फांदकर घुसे थे।
सेना ने किया ऑपरेशन
हमले की खबर आने के तुरंत बाद सुरक्षा बलों की एक बड़ी टुकड़ी घटनास्थल की तरफ रवाना हो गई। सुरक्षा बलों ने तत्काल छात्रों और शिक्षकों को परिसर से निकालना शुरू कर दिया। कुछ देर में पेशावर से सैनिकों की टुकड़ी भी पहंुच गई और आतंकियों के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया। चारों आतंकियों को मार गिराने के बाद सेना ने ऑपरेशन खत्म होने का एलान किया। सेना प्रमुख राहिल शरीफ और राज्य के गवर्नर महताब अहमद खान ने भी यूनिवर्सिटी पहुंचकर घटना का जायजा लिया। सेना के हेलीकॉप्टर से घटनास्थल की निगरानी की जा रही है।
तीन हजार छात्र मौजूद
कुलाधिपति डॉ. फजल रहीम ने बताया कि हमले के वक्त तीन हजार से ज्यादा छात्र विश्वविद्यालय में मौजूद थे। इसके अलावा मुशायरे में भाग लेने के लिए लगभग छह सौ मेहमान भी आए हुए थे। डॉ. रहीम ने बताया कि हमले में विश्वविद्यालय के चार सुरक्षाकर्मियों और एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई।
पीएम और सीएम विदेश में
प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने हमले की खबर मिलते ही सुरक्षा एजेंसियों को विश्वविद्यालय को आतंकियों से खाली कराने का निर्देश दिया। इस समय शरीफ पाकिस्तान से बाहर हैं। राज्य के मुख्यमंत्री परवेज खट्टक ब्रिटेन का दौरा छोड़कर अपने देश लौट रहे हैं। शरीफ के प्रवक्ता ने बताया कि प्रधानमंत्री स्वयं स्थिति पर नजर रख रहे हैं और उन्हें ताजा गतिविधियों की जानकारी दी जा रही है।
सीमांत गांधी की पुण्यतिथि पर किया आत्मघाती हमला
--विश्वविद्यालय का नामकरण सीमांत गांधी खान अब्दुल गफ्फार खान के नाम पर किया गया है।
--खैबर-पख्तूनख्वा में उनको प्यार से बाशा खान भी कहा जाता है।
--20 जनवरी को उनकी पुण्यतिथि के मौके पर विश्वविद्यालय परिसर में मुशायरा चल रहा था।
--इसी बीच, आतंकियों ने वहां पहुंचकर अंधाधुंध फायर झोंकना शुरू कर दिया।
मोदी अौर नवाज ने जताया दुख
बाशा खान विश्वविद्यालय में आतंकी हमले की भर्त्सना करता हूं। मारे गए लोगों के परिजनों के प्रति हमारी संवेदना। घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना।
-नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री-भारत
जिन लोगों ने बेगुनाह छात्रों और नागरिकों पर हमला किया है, उनका कोई मजहब नहीं है। हमारी सरकार ऐसी ताकतों को खत्म कर देने के लिए प्रतिबद्ध है।
--नवाज शरीफ, प्रधानमंत्री-पाक
आतंकियों के खिलाफ तलाशी अभियान के दौरान पाकिस्तानी एयरफोर्स के कमांडो मदद कर रहे हैं।
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कब हुआ हमला ?
आतंकियों ने सुबह 9.30 बजे बाशा खान विश्वविद्यालय को निशाना बनाया। जिस समय ये हमला हुआ उस वक्त विश्वविद्यालय में परीक्षा चल रही थी जिसमें 3000 हजार छात्र मौजूद थे। इसके अलावा मुशाएरे के लिए 600 विदेशी मेहमान मौजूद थे। इससे पहले मंगलवार को आतंकियों ने पेशावर में पुलिस चेक पोस्ट पर हमला किया था। जिसमें 11 लोगों की मौत हो गयी थी।
पेशावर के बाशा खान यूनिवर्सिटी में आतंकी हमला, देखें तस्वीरें
सुरक्षाबलों ने की घेराबंदी
आतंकी हमले के तुरंत बाद विश्वविद्यालय की घेराबंदी कर दी गई। सुरक्षाबलों की मदद के लिए पाक एयरफोर्स के कमांडों ने भी मदद की। सुरक्षाबल सभी कमरों की तलाशी अभियान में जुटे हुए हैं।
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कोहरे की आड़ में घुसे आतंकी, 3000 छात्र कैंपस में
कोहरे की आड़ में ये आतंकी विश्वविद्यालय परिसर में घुसने में कामयाब रहे। जिस समय परिसर पर हमला हुआ उस वक्त करीब 3000 छात्र मौजूद थे। इसके अलावा मुशाएरे में शिरकत करने के लिए 600 विदेशी मेहमान भी आए हुए थे।
बंदूकधारियों ने अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी
बंदूकधारी कैंपस के भीतर दाखिल हुए और उन्होंने टीचर्स और छात्रों पर गोलीबारी शुरू कर दी। शुरुआती जानकारी के मुताबिक आतंकियों की संख्या के बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिल पा रही थी। हालांकि बाद में ये जानकारी सामने आयी कि 12 से 15 की संख्या में आतंकी विश्वविद्यालय में घुसने में कामयाब हो गए।
पेशावर के अस्पतालों में आपातकाल घोषित
आतंकी हमले में पचास से ज्यादा लोग घायल हो गए। घायलों को को चारसद्दा के अलग अलग अस्पताल में भर्ती कराया गया। पेशावर के अस्पतालों में आपातकाल घोषित कर दिया गया है।
टॉयलेट में छिपकर बचाई जान
एक छात्र ने बताया कि उसने टॉयलेट में छिपकर अपनी जान बचाई। कुछ छात्र छत पर छुपे हैं तो कोई कमरे में। अंदर बेहद भयावह माहौल है। कैंपस के बाहर बड़ी संख्या बच्चों के परिजन भी इकट्ठा हो रहे हैं। हालांकि सुरक्षाकारणों से उन्हें लगातार जाने और हटाने की कोशिश की जा रही है। हमले के बाद पेशावर के सभी अस्पतालों में अलर्ट घोषित कर दिया गया है।
बाशा खान की पुण्यतिथि मनाई जा रही थी
गौरतलब है कि यूनिवर्सिटी में बुधवार को बाशा खान की पुण्यतिथि मनाई जा रही थी। 1988 में उनका निधन हो गया था और वह ताउम्र उदार-गांधीवादी रहे। यूनिवर्सिटी पर हमले की पहले से ही आशंका थी इसलिए मंगलवार रात से ही यहां हाई अलर्ट था।
कौन थे बाचा खान ?
पाकिस्तान के उत्तर पश्चिम इलाके के चारसद्दा में बनी हुई बाचा खान यूनिवर्सिटी में जिस वक्त आतंकवादियों ने हमला किया, वहां बाचा खान की पुण्यतिथि मन रही थी। यूनिवर्सिटी की स्थापना 3 जुलाई 2012 को की गई थी।और यूनिवर्सिटी का नाम खान अब्दुल गफ्फार खान (जिन्हें बाशा खान) भी कहा जाता है, के नाम पर रखा गया।
20 जनवरी 1988 के दिन खान अब्दुल गफ्फार खान का निधन हो गया था। 1987 में भारत ने उन्हें भारत रत्न की उपाधि भी दी थी। सीमांत गांधी भी कहे जाने वाले ख़ान अब्दुल गफ़्फ़ार ख़ान ताउम्र उदार और गांधीवादी रहे। वह भारत के बहुत क़रीब रहे।
बाशा खान के शांति और वैश्विक भाईचारे के संदेश को सैंद्धांतिक और व्यावहारिक रूप से लागू करना विश्वविद्यालय का उद्देश्य है।
क्या है तहरीक-ए- तालिबान ?
तहरीके तालिबान को तहरीके तालिबान ऑफ पाकिस्तान भी कहते हैं। आतंकियों ने इसकी स्थापना साल 2007 में की थी। आतंकी संगठन तहरीके तालिबान का मकसद पाकिस्तान में शरिया के अनुसार शासन व्यवस्था कायम करना है। तहरीके तालिबान ने 2013 में भारत में भी शरिया के हिसाब से शासन करने का ऐलान किया था। आतंकियों ने चुनौती दी थी कि वे भारत में लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ जिहाद करते रहेंगे।
दिसंबर 2014 में पेशावर के आर्मी स्कूल में हुआ था ऐसा ही हमला
1. पाकिस्तानी एयरफोर्स की ली गई मदद
2.पाकिस्तानी सेना कैंपस के अंदर दाखिल हुई।
3. विश्वविद्यालय कैंपस में तीन हजार से ज्यादा छात्र थे मौजूद।
4. आंतकियों ने क्लॉस रूम और हॉस्टल में गोलियां दागी।
5. विश्वविद्यालय परिसर में सात धमाकों की आवाज सूनी गयी है।
6. डीजी आइएसपीआर के मुताबिक सुरक्षाबलों ने पूरे कैंपस की घेराबंदी की।
7. पाकिस्तान के न्यूज डॉन के मुताबिक 60 से 70 छात्रों के सिर में गोली मारी गयी है।
8. पेशावर के अस्पतालों में इमरजेंसी घोषित किया गया।
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