स्विस बैंकों से नहीं मिलेगी मौजूदा काले धन की सूचना
समझौता समूह 20 देशों के बीच बनी उस सहमति के तहत की गई है जिसमें सदस्य देशों के बीच काले धन से जुड़ी तमाम सूचनाओं को अपने आप ही साझा करने की व्यवस्था लागू करने की बात थी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । काला धन रखने के लिए बदनाम स्विटजरलैंड की सरकार भारत को इसके बारे में सूचना देने को तैयार हो गई है लेकिन इससे भारत का कोई फायदा होगा भी या नहीं इसमें अभी संशय है। मंगलवार को भारत और स्विटजरलैंड के बीच काले धन या अन्य गैर कानूनी तरीके से कमा कर एक दूसरे देश में उसे जमा कराने से जुड़ी सूचनाओं को साझा करने संबंधी समझौता हुआ है। लेकिन यह समझौता सितंबर, 2019 से लागू होगा और भारत को वर्ष 2018 या उसके बाद स्विस बैंकों में जमा भारतीयों के काले धन के बारे में ही सूचना मिलेगी। यानी अभी तक वहां जिन लोगों ने काला धन रखा हो और अब उसे कहीं और ठिकाने लगा दिया हो तो उसकी सूचना नहीं मिलेगी।
दरअसल, यह समझौता समूह 20 देशों के बीच बनी उस सहमति के तहत की गई है जिसमें सदस्य देशों के बीच काले धन से जुड़ी तमाम सूचनाओं को अपने आप ही साझा करने की व्यवस्था लागू करने की बात थी। भारत इस तरह के समझौता अन्य कई देशों के साथ करने की प्रक्रिया में है। भारत के कई वित्त मंत्री सार्वजनिक तौर पर यह स्वीकार कर चुके हैं कि स्विटजरलैंड के बैंकों में भारतीयों के जमा काले धन के बारे में सूचना हासिल करना नामुमकिन है। वैसे भी स्विटजरलैंड सरकार की रिपोर्ट बताती है कि उनके बैंक में जमा भारतीय नागरिकों की राशि काफी कम हो चुकी है।
स्विस नेशनल बैंक की जुलाई, 2016 में जारी रिपोर्ट बताती है कि स्विस बैंकों में पैसा रखने वालों मे भारत का स्थान 75वां है। पिछले वर्ष यह स्थान 61वां था। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारतीयों ने वहां सिर्फ 1.2 अरब डॉलर जमा करवाये थे जबकि वर्ष 2010 में 2.8 अरब डॉलर की राशि भारतीय मूल के नागरिकों ने वहां जमा करवाये थे। यह राशि उसे दावे से काफी कम है जो कई राजनेता या काले धन वापस लाने को लेकर आंदोलन करने वाले संस्था या एजेंसियां करती हैं।