पहला देश जो जारी करेगा ई-करेंसी, कागजी नोट लगभग बंद
ई-करेंसी यानी डिजिटल करेंसी एक आम डेबिट या क्रेडिट कार्ड की तरह ही होती है जिसका इंटरनेट के माध्यम से ट्रांजेक्शन होता है।
स्टॉकहोम। भारत में जहां सरकार नोटबंदी के जरिए काले धन पर अंकुश करने की कोशिश में लगी हैं, वहीं स्वीडन का सेंट्रल बैंक रिक्सबैंक ई-करेंसी जारी करने पर विचार कर रहा है। ई-करेंसी यानी डिजिटल करेंसी एक आम डेबिट या क्रेडिट कार्ड की तरह ही होती है जिसका इंटरनेट के माध्यम से ट्रांजेक्शन होता है। अगर रिक्सबैंक इस विचार पर अमल करता है तो यह दुनिया का पहला ई-करेंसी जारी करने वाला देश होगा।
रिक्सबैंक के डिप्टी गर्वनर सीसिलिया स्काइंग्जली ने बुधवार को इस फैसले के बारे में मीडिया को बताया। उनके मुताबिक अब कैश का इस्तेमाल बहुत कम हो गया है इसलिए इस प्रपोजल पर विचार चल रहा है। कुछ सालों में नोटों के प्रयोग में काफी गिरावट आई है। अगर आंकड़ों की बात करें तो बैंक नोट स्वीडन के जीडीपी का 1.5 प्रतिशत हैं जबकि 1950 में ये अनुपात करीब 10 प्रतिशत था।
सीसिलिया ने मीडिया को बताया ' ऐसे लोगों की बड़ी संख्या है जो कई कारणों से परंपरागत बैंकों तक नहीं पहुंच पाते या उनकी उन बैंकों तक पहुंच संभव नहीं हैं।' लेकिन विशेषज्ञों की माने तो ई-करेंसी के मामले में कालेधन की संभावना ज्यादा होगी। यानी ई-करेंसी कागजी नोटों से ज्यादा असुरक्षित हो सकती है।
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