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बेलारूस की स्वेतलाना अलेक्सीविच को साहित्य का नोबेल पुरस्कार

बेलारूस की लेखिका स्वेतलाना अलेक्सीविच को इस साल का साहित्य का नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। उन्हें उनकी कृतियों में पूर्व सोवियत संघ में लोगों की जिंदगी के वर्णन को लेकर इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए चुना गया। साहित्य का नोबेल पुरस्कार पाने वाली वह 14वीं महिला

By Edited By: Published: Thu, 08 Oct 2015 08:21 PM (IST)Updated: Thu, 08 Oct 2015 11:25 PM (IST)
बेलारूस की स्वेतलाना अलेक्सीविच को साहित्य का नोबेल पुरस्कार

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स्टॉकहोम । बेलारूस की लेखिका स्वेतलाना एलेक्सीविच को इस साल का साहित्य का नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। उन्हें उनकी कृतियों में पूर्व सोवियत संघ में लोगों की जिंदगी के वर्णन को लेकर इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए चुना गया। साहित्य का नोबेल पुरस्कार पाने वाली वह 14वीं महिला हैं। स्वेतलाना को पुरस्कार के रूप में 9.72 लाख डॉलर यानी 6.27 करोड़ रुपए की धनराशि मिलेगी।
स्वीडिश एकेडमी ने 67 वषर्षीय स्वेतलाना के लेखन को अपने समय की पीड़ा और साहस की निशानी बताया है। उनकी कृतियों को 'वॉयसेज ऑफ यूटोपिया' का नाम दिया गया है। इसमें पूर्व सोवियत संघ में लोगों के जीवन के अलावा 1986 के चेर्नोबिल परमाणु हादसे, अफगानिस्तान में रूस की ल़़डाई और दूसरे विश्व युद्ध का वर्णन किया गया है। उनकी किताबों का विश्व की कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है और उन्हें कई अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड भी मिले हैं। लेकिन विवादास्पद रूप से रूसी भाषषा में लिखी उनकी किताबें उनके देश में प्रकाशित नहीं हुई। उनकी पहली किताब 'वार्स अनवोमैनली फेस' 1985 में प्रकाशित हुई। इसकी 20 लाख प्रतियां बिक चुकी हैं।
पत्रकार व शिक्षिका रहीं
स्वेतलाना का जन्म 31 मई, 1948 को यूक्रेन में हुआ। उनके पिता बेलारूस के और मां यूक्रेन की थीं। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद स्वेतलाना ने पत्रकार व शिक्षिका के रूप में काम किया।
ऐसे लिखती हैं
स्वेतलाना शुरआती दौर में पत्रकार रही हैं। अब भी उसी तरह ग्राउंड वर्क और रिसर्च करने में यकीन करती हैं। जैसे, वॉयसेस ऑफ चेर्नोबिल लिखने के लिए पहले वे चेरनोबिल जाकर कुछ महीने रहीं और वहां उन पत्रकारों के संपर्क में रहीं जिन्होंने इस त्रासदी को कवर किया था। फिर वे इस दुर्घटना में पी़ि़डत हुए लोगों, डॉक्टरों, अग्निशमन कर्मचारियों वगैरह 500 लोगों से मिलीं। इसलिए उन्होंने इस किताब को पूरा करने में दस साल का समय लिया।

यह अनुभव कैसा था
स्वेतलाना ने बताया कि परमाणु रेडिएशन दुर्घटना का कोई अनुभव तो लोगों को था नहीं। कई लोगों ने कहा कि वे अपने घरों में बालकनी में ख़़डे होकर धुआं निकलते देख रहे थे। कई लोगों ने अपने बच्चों को बुला लिया कि ऐसा दृश्य तुम्हें जीवन में दोबारा देखने को नहीं मिलेगा। जो अग्निशमन अधिकारी मौके पर पहुंचे, उन्हें रेडिएशन से निबटने का अनुभव नहीं था। वे सामान्य ढंग से आग बुझाने की कोशिश कर रहे थे। डॉक्टरों के पास कोई सुरक्षा उपकरण नहीं थे। वे आम तरीके से जांच कर रहे थे और वे रेडिएशन के शिकार हो गए।
सोवियत संघ के विघटन पर
सोवियत संघ का विघटन होने के अनुभवों पर उन्होंने 'एनचांटेड विथ डेथ' लिखी।
इन दिनों क्या लिख रहीं?
वे दो किताबों पर काम कर रही हैं। वह बेलारूस की सत्ता के तौर-तरीकों की विरोधी हैं।
प्रमुख कृतियां
वार्स अनवोमैनली फेस, जिंकी ब्यॉयज, वॉयसेज फ्रॉम चेर्नोबिल, द लास्ट विटनेसेज : द बुक ऑफ अनचाइल्डलाइक स्टोरीज और एनचांटेड विथ डेथ।

क्या कहा

वेतलाना ने साहित्य की नई विधा खोजी। उन्होंने पत्रकारिता के स्वरूप को आगे ब़़ढाया। अगर उनके काम को अलमारी से हटा दिया जाए तो वहां एक ब़़डा शून्य पैदा हो जाएगा। इससे जाहिर होता है कि उनकी लेखनी कितनी मौलिक है।
-सारा डेनियस, स्थाई सचिव, स्वीडिश अकादमी

नोबेल पुरस्कार मिलने की घोषणा के बाद स्वेतलाना ने कहा, 'एक तरफ मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा है, लेकिन थोड़ी विचलित भी हूं। अब मैं लेखन के दो नए प्रोजेक्ट पर काम कर सकूंगी।'
-स्वेतलाना एलेक्सीविच, पुरस्कार के एलान के बाद


साहित्य नोबेल विजेता महिलाएं
सेल्मा ओटालिया लोविसा लाजरोफ (स्वीडन, 1909), गे्रजिया डेलेड्डा (इटली, 1926), सिगरिड उंडसेट (नॉर्वे, 1928), पर्ल एस. बक (अमेरिका, 1938), गेब्रिएला मिस्त्राल (चिली, 1945), नेली साक्स (स्वीडन--जर्मनी, 1966), नेडिन गोर्डिमर (दक्षिण अफ्रीका, 1991), टॉनी मोरिसन (अमेरिका, 1993), विसलावा जिमबोर्सका (पोलैंड, 1996), एल्फ्रीड जेलिनेक (ऑस्टि्रया, 2004), डोरिस लेसिंग (इंग्लैंड, 2007), हर्टा म्यूलर (जर्मनी--रूमानिया, 2009), एलिस मुनरो (कनाडा, 2013) और स्वेतलाना एलेक्सीविच (बेलारूस, 2015)।
आज शांति का नोबेल
शांति के लिए नोबेल का एलान शुक्रवार को ओस्लो में होगा। इस पर पूरी दुनिया की नजर रहती है। अर्थशास्त्र पर नोबेल की घोषणा सोमवार को होगी।

पढ़ेंः काजिता और मैकडोनाल्ड को भौतिकी का नोबेल



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