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इस साल के नोबेल चिकित्सा पुरस्कार पर विवाद की छाया

लॉस एंजिलिस। स्टेम कोशिकाओं की खोज का दावा करने वाले एक वैज्ञानिक ने नोबेल पुरस्कारों का चयन करने वाली समिति के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। नोबेल पुरस्कारों के इतिहास में यह पहला मौका है जब समिति के खिलाफ मुकदमा दायर किया गया है। शरीर की सामान्य कोशिकाओं से स्टेम सेल बनाने के लिए जापान और ब्रिटेन के वैज्ञानिको

By Edited By: Published: Fri, 07 Dec 2012 06:26 PM (IST)Updated: Fri, 07 Dec 2012 08:22 PM (IST)
इस साल के नोबेल चिकित्सा पुरस्कार पर विवाद की छाया

लॉस एंजिलिस। स्टेम कोशिकाओं की खोज का दावा करने वाले एक वैज्ञानिक ने नोबेल पुरस्कारों का चयन करने वाली समिति के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। नोबेल पुरस्कारों के इतिहास में यह पहला मौका है जब समिति के खिलाफ मुकदमा दायर किया गया है। शरीर की सामान्य कोशिकाओं से स्टेम सेल बनाने के लिए जापान और ब्रिटेन के वैज्ञानिकों को इस साल संयुक्त रूप से चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार दिया गया है।

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खुद को 'ह्यूंमन बॉडी रीजनरेटिव रीस्टोरेशन साइंस' का संस्थापक बताने वाले रांगजियांग शू का दावा किया है यह खोज उन्होंने एक दशक पहले की थी, जिसके श्रेय इस साल के नोबेल विजेताओं को दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा की पढ़ाई के दौरान ही 1984 में मैंने रीजनरेटिव कोशिकाओं की खोज कर ली थी। इससे 73 देशों के दो करोड़ जले हुए पीड़ित लाभान्वित हुए थे। उन्होंने इसी सप्ताह कैलिफोर्निया में स्वीडन के कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट की नोबेल समिति के खिलाफ मामला दर्ज कराया है। इस समिति ने ही गत अक्टूबर में नोबेल पुरस्कार के लिए जापान और ब्रिटेन के वैज्ञानिकों का संयुक्त रूप से चयन किया था। पुरस्कार की घोषणा करते हुए समिति ने कहा था कि उनकी खोज से नई स्टेम कोशिकाओं के निर्माण का तरीका सामने आया, जो प्रौढ़ कोशिकाओं को फिर उस पुरानी स्थिति में ले जाने में समर्थ होगा जिन्हें प्लूरीपोटेंट स्टेट [कई कार्य करने में समर्थ कोशिका] कहते हैं। यानी बीमार लोगों की त्वचा से प्राप्त कोशिकाओं से उनकी बीमारियों के बारे में पता लगाया जा सकेगा और उनके उपचार में मदद मिल सकेगी। रांगजियांग ने मुकदमा दायर करने की घोषणा करते हुए अपने एक बयान में कहा, 'नोबेल समिति का बयान गलत है क्योंकि मैं ही वह वैज्ञानिक हूं जिसनेस्टेम कोशिका संबंधी खोज एक दशक पहले ही कर ली थी। मुकदमा दायर करने का मेरा मकसद समिति का ध्यान गलती की ओर आकृष्ट करना और भविष्य की पीढ़ी के संरक्षण के लिए ऐसे भ्रामक बयान में सुधार करना है।' इस मामले पर नोबेल समिति की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

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