विस्थापित तमिलों को छह महीने में घर देगा श्रीलंका
करीब तीन दशक तक चले गृह युद्ध के दौरान विस्थापित तमिलों को छह महीने में श्रीलंका घर देगा। इनकी दुर्दशा से आहत राष्ट्रपति मैत्रिपाल सिरिसेना ने इसके लिए विशेष कार्यबल के गठन का वादा किया है। 73 हजार से ज्यादा तमिल इस समय अपने ही देश में शिविरों में रह
कोलंबो। करीब तीन दशक तक चले गृह युद्ध के दौरान विस्थापित तमिलों को छह महीने में श्रीलंका घर देगा। इनकी दुर्दशा से आहत राष्ट्रपति मैत्रिपाल सिरिसेना ने इसके लिए विशेष कार्यबल के गठन का वादा किया है। 73 हजार से ज्यादा तमिल इस समय अपने ही देश में शिविरों में रह रहे हैं। इन शिविरों में बिजली-पानी की भी उचित व्यवस्था नहीं है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार गृह युद्ध के अंतिम महीनों में सेना ने करीब 40 हजार तमिल नागरिकों को मार गिराया था। करीब एक लाख 23 हजार तमिल शरणार्थी बनकर दूसरे देशों में रहने को मजबूर हैं।
खुद देखे हालात
जाफना में रविवार को आयोजित एक क्रिसमस समारोह में सिरिसेना ने कहा, "मैं विस्थापित तमिलों के घरों के अंदर गया। जिस दयनीय हालत में वे जी रहे हैं मैंने उन्हें खुद देखा। छह महीने के भीतर इन लोगों को उनके मूल स्थान पर फिर से बसाने के लिए मैं एक विशेष प्रेसिडेंशियल टास्क फोर्स का गठन करूंगा। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सेना, पुलिस और देश की अन्य एजेंसियों की मदद ली जाएगी।"
राजपक्षे पर निशाना
तमिल बहुल उत्तरी क्षेत्र में लागू कठोर कानूनों में ढील देने को लेकर आलोचना कर रहे लोगों पर भी सिरिसेना ने निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कुछ लोग उन पर और प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे पर राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने का आरोप लगा रहे हैं। कोलंबो में बैठकर राष्ट्रीय सुरक्षा पर शोर मचाने वाले लोगों को मैं घरों से बाहर निकलकर तमिलों के हालात देखने के लिए आमंत्रित करता हूं। यदि वे देश के उत्तरी क्षेत्र की यात्रा करना चाहते हैं तो उन्हें सरकार हर सुविधा मुहैया कराएगी। अपने पूर्ववर्ती महिंदा राजपक्षे पर शांति और सुलह प्रक्रिया को सही तरीके से लागू नहीं करने का भी उन्होंने आरोप लगाया। सिरिसेना ने कहा कि लड़ाई जीतने में पूववर्ती सरकार भले सफल रही, लेकिन गृह युद्ध के मूल कारण आज भी बने हुए हैं।
भरोसा जीतने की कवायद
सत्ता में आने के बाद से सिरिसेना सरकार ने अल्पसंख्यक तमिलों का भरोसा जीतने के लिए कई कदम उठाएं हैं। सेना ने करीब 30 साल से जिन जमीनों पर कब्जा कर रखा था वे तमिलों को लौटा दिए गए हैं। देश के उत्तरी हिस्से में लागू यात्रा प्रतिबंध हटाए गए हैं। तमिल बहुल दो प्रांतों में असैन्य राज्यपालों की नियुक्ति की गई है।