9/11 के मुकदमों को वापस लिया जाना चाहिए : सऊदी अरब
अमेरिका पर हुआ 9/11 आतंकी हमला, इसे इतिहास का सबसे बर्बर और खौफनाक आतंकी हमला भी माना जाता है
न्यूयॉर्क,पीटीआई। सऊदी अरब सरकार का कहना है कि 11 सितंबर 2001 को अमेरिका में हुए आतंकी हमलों में सबूत के अभाव के कारण पीड़ित परिवारों द्वारा दायर किए गए मुकदमे को हटा दिया जाना चाहिए।
सऊदी अरब के वकीलों ने मैनहट्टन संघीय अदालत में मंगलवार को एक याचिका दायर कर अनुरोध किया है। 14 वर्षों के बाद 100 अरब अमेरिकी डालर के मुकदमों को वापस लिया जाना चाहिए। दायर याचिका में कहा गया है कि सऊदी अरब के खिलाफ हजारों पन्नों और अटकलों के दावों का कोई वास्तविक सबूत नहीं था, जिसमें सऊदी अरब द्वारा आतंकियों की मदद करने का मामला था।
बता दें कि मुकदमे में, सैकड़ों पीड़ितों के रिश्तेदारों और घायल बचे लोगों और बीमा कंपनियों ने दावा किया है कि सऊदी सरकार के कर्मचारियों ने जानबूझकर हवाई जहाज हमले के अपहर्ताओं और षडयंत्रकारियों की मदद की। साथ ही उन्होंने आतंकवादी संगठन अल-कायदा के विकास को बढ़ावा दिया। याचिका दाखिल करने के बाद, 9/11 परिवारों और बचे लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाला न्यू जर्सी आधारित समूह ने कहा कि किंगडम के खिलाफ भारी प्रमाण हैं।
समूह ने कहा कि सऊदी अरब अपनी भागीदारी के भारी सबूत होने के चलते मामले को भटकाने का हर संभव प्रयास करता रहा है, 9/11 के हमले को सिंतबर में 16 साल पूरे हो जाएंगे। समूह ने आरोप लगाया है कि उनके सरकारी अधिकारियों और एजेंटों ने इन भयावह हमलों में सहायता की है।
गौरतलब है कि अमेरिका पर हुए 9/11 आतंकी हमले को इतिहास का सबसे बर्बर और खौफनाक आतंकी हमला भी माना जाता है। 11 सितंबर 2001 को अल कायदा के आतंकियों ने यात्रियों से भरे दो विमान न्यूयॉर्क की पहचान माने जाने वाले वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की गगनचुंबी इमारत से टकरा दिए थे। इस मामले मे अमेरिका ने सऊदी अरब के शामिल होने का संदेह जताया है लेकिन अभी तक उसके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं।
यह भी पढ़ें: नवाज शरीफ जनता के प्रधानमंत्री बने रहेंगे, अब्बासी ने ली पीएम पद की शपथ
यह भी पढ़ें: पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री चुने गए शाहिद खाकान अब्बासी