जानिए, क्यों दुनियाभर में 6.56 करोड़ लोग अपना देश छो़ड़ने को हुए मजबूर
यूएनएचआरसी ने उम्मीद जताई कि जारी किए गए आंकड़े अमीर देशों को इस मुद्दे पर एक बार फिर सोचने पर मजबूर करेंगे।
नई दिल्ली, एजेंसी। संयुक्त राष्ट्र संघ की शरणार्थी एजेंसी ने सोमवार को कहा कि दुनिया भर में रिकॉर्ड 6.56 करो़ड़ लोग या तो शरणार्थी हैं या शरण मांग रहे हैं या फिर आंतरिक रूप से विस्थापित हैं।
संस्था की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 2016 के अंत तक अनुमानित आंकड़ों में 2015 के आंकड़ों से तीन लाख की वृद्धि हुई है। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त फिलिपो ग्रांडी ने कहा कि अभी तक ये आंकड़े अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की एक विफलता को दर्शाते हैं। ग्रांडी ने विश्व के कई गरीब देशों पर इस विस्थापन के भार के लिए चेतावनी भी दी। विश्व के लगभग 84 फीसदी विस्थापित लोग गरीब और मध्यम आय वर्ग वाले देशों में रह रहे हैं।
यूएनएचआरसी ने उम्मीद जताई कि जारी किए गए आंकड़े अमीर देशों को इस मुद्दे पर एक बार फिर सोचने पर मजबूर करेंगे। उनका कहना है कि केवल ज्यादा शरणार्थियों को अपने देश में शरण देना ही नहीं, बल्कि शांति स्थापना और पुनर्निर्माण में सहयोग करना भी है।
यूनिसेफ ने सीरियाई शरणार्थी मुजून अलमेल्लेहन को नई और सबसे कम उम्र की गुडविल एंबेसडर बनाए जाने की घोषणा की। 19 वर्षीय महिला शिक्षा कार्यकर्ता मुजून शरणार्थी दर्जे वाली यूनिसेफ की पहली एंबेसडर हैं। उन्हें जॉर्डन के एक शरणार्थी शिविर में रहने के दौरान यूनिसेफ की सहायता मिली थी।
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