किसके दबाव में पलटा पाकिस्तान
भारतीय कैदी सरबजीत सिंह की रिहाई को लेकर पाकिस्तान का दोहरा चरित्र एक बार फिर उजागर हुआ है। पाकिस्तान में सरबजीत की रिहाई के मामले में सरकार का अपने रुख से पलट जाने के पीछे कंट्टरपंथी ताकतों का दबाव था या यह सब सही पहचान नहीं हो पाने के कारण हुआ।
इस्लामाबाद। पाकिस्तान में भारतीय कैदी सरबजीत की रिहाई के मामले में सरकार के यू टर्न के पीछे कट्टरपंथी ताकतों का दबाव था या यह सब सही पहचान नहीं हो पाने के कारण हुआ? बुधवार को भी इन सवालों का कोई जवाब नहीं मिल सका।
'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' ने पहले पन्ने पर प्रकाशित रिपोर्ट में कहा है कि गलत पहचान के मामले को लेकर पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय शर्मिंदगी की स्थिति में आ गया है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि नामों को लेकर संशय कैसे पैदा हुआ। यह तो अधिकारियों ने गलत सूचना दी थी या फिर मीडिया संस्थानों की गलती के कारण गलत सूचना प्रसारित हुई।'
'डॉन' समाचार पत्र ने इस घटनाक्रम को अनोखे तरीकेसे लिया गया सरकार का 'यू टर्न' करार दिया है। बुधवार सुबह पाकिस्तान के सभी टेलीविजन न्यूज चैनलों ने सरबजीत के नाम पर की गई राजनीति से संबंधित खबर दिखानी बंद कर दी। कुछ ही चैनलों ने भारत के विदेश मंत्री एसएम कृष्णा द्वारा सरबजीत और अन्य कैदियों की रिहाई के संबंध में पाकिस्तान सरकार से की गई अपील से संबंधित खबर दिखाई थी। वहीं देश के तीन बड़े समाचार पत्रों ने सरबजीत के नाम पर हुई गड़बड़ी की खबर ही प्रकाशित नहीं की।
सोशल मीडिया विशेषतौर पर ट्विटर पर अटकलें लगाई जा रही हैं कि पाकिस्तान सरकार ने शक्तिशाली आइएसआइ के दबाव के चलते सरबजीत की रिहाई के फैसले में फेरबदल किया है। वहीं जमात-उद-दावा [जेयूडी] ने मंगलवार को ही सरबजीत को रिहा करने के सरकार के कदम की निंदा की थी। लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटा संगठन जेयूडी ने ट्विटर पर लिखा, 'समझौता एक्सप्रेस और भारतीय जेलों में बंद मासूम पाकिस्तानियों केलिए एक भी मांग नहीं। इसके बदले आतंकी सरबजीत को जीने की आजादी। शर्मनाक।' देश के सबसे लोकप्रिय प्रस्तोताओं में से एक हामिद मीर ने तो सरबजीत को 'भारत का अजमल कसाब' कहकर संबोधित किया।
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