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अमेरिका के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैंः मोदी

पीएम नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक अोबामा की मुलाकात हुई। बराक अोबामा से मुलाकात के बाद संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Tue, 07 Jun 2016 08:30 PM (IST)Updated: Tue, 07 Jun 2016 11:16 PM (IST)
अमेरिका के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैंः मोदी

वाशिंगटन (एएनअाई)। पीएम नरेंद्र मोदी ने व्हाइट हाउस पहुंच कर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक अोबामा से मुलाकात की। राष्ट्रपति ओबामा और प्रधानमंत्री मोदी की लंच मीटिंग में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और विदेश सचिव भी मौजूद थे।

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दोनों नेताओं की इस मुलाकात के बाद साझा बयान जारी किया गया। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक अोबामा ने कहा कि दोनों के बीच परमाणु प्रगति व नागरिक सहयोग पर चर्चा हुई। हमने क्षेत्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर बातचीत की और हम साइबर सुरक्षा पर मिलकर काम करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि भारत को लेकर मेरी अच्छी यादे हैं, जब मैंने गणतंत्र दिवस में हिस्सा लिया था।

देखेंःPM मोदी और ओबामा की ‘व्हाइट हाउस’ में आखिरी मुलाकात

इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि हम कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं। अागे भी साथ-साथ काम करते रहेंगे। यूएस कांग्रेस को संबोधित करने के लिए पीएम मोदी ने आभार जताया और राष्ट्रपति अोबामा को अपना सबसे अच्छा मित्र बताया। पीएम मोदी ने कहा कि भारत एक युवा देश है। भारत के करीब 80 करोड़ युवा 35 वर्ष से कम हैं। हम जी-20 में फिर मिलेंगे, हम जलवायु परिवर्तन को लेकर अपने सपने पूरे करेंगे, हमारे मित्र ओबामा ने एमटीसीआर(मिसाइल टेक्नॉलॉजी कंट्रोल रेजिम) और एनएसजी (न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप) में समर्थन दिया है, इसके लिए मैं आभार प्रकट करता हूं।

मैं अपने करीबी मित्र राष्ट्रपति बराक ओबामा का आभार जताना चाहता हूं, हमने कई मुद्दे पर चर्चा की। कई विषयों पर हमने मिलकर काम किया है। भारत तेज गति से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है, हम साथ में विश्व शांति और सुरक्षा पर काम करेंगे। परमाणु सुरक्षा और आतंकवाद के मसले पर साथ मिलकर काम करेंगे। हमने आर्थिक सहयोग को आगे बढ़ाने पर चर्चा की।

जानिए, क्या है एमटीसीअार

1987 में समूह सात देशों सहित 12 विकसित देशों ने मिलकर अाणविक हथियार से युक्त प्रक्षेपास्त्रों के प्रसार को रोकने के लिए एक समक्षौता किया था जिसे मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) कहते हैं।

अप्रैल 1987 में स्थापित स्वैच्छिक एमटीसीआर का उद्देश्य बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र तथा अन्य मानव रहित आपूर्ति प्रणालियों के विस्तार को सीमित करना है जिनका रसायनिक, जैविक और परमाणु हमलों में उपयोग किया जा सकता है। ओबामा के समर्थन के बाद 34 देशों के एमटीसीअार में भारत का प्रवेश फाइनल हो गया है। एमटीसीअार में शामिल होने के बाद भारत हाई-टेक मिसाइल का दूसरे देशों से बिना किसी अड़चन के एक्सपोर्ट कर सकता है और अमेरिका से ड्रोन भी खरीद सकता है।

जानिए, क्या है एनएसजी

नाभिकीय आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) 45 देशों का एक समूह है जो नाभिकीय निरस्त्रीकरण के लिये प्रयासरत है। इस कार्य के लिये यह समूह नाभिकीय शस्त्र बनाने योग्य सामग्री के निर्यात एवं पुनः हस्तान्तरण को नियन्त्रित करता है। इसका वास्तविक लक्ष्य यह है कि जिन देशों के पास नाभिकीय क्षमता नहीं है वे इसे अर्जित न कर सकें। एनएसजी सदस्य देशों के साथ असैन्य कार्यों के लिये परमाणु सामग्री, परमाणु तकनीक के इस्तेमाल सुनिश्चित करता है। एनएसजी का गठन वर्ष 1974 में भारत के परमाणु परीक्षण की प्रतिक्रिया स्वरूप किया गया था। यह समूह सैद्धांतिक रूप से केवल परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर करने वाले देशों के साथ परमाणु व्यापार की अनुमति देता है। लेकिन इस बार इस समूह ने भारत को विशेष छूट देकर ऐतिहासिक फैसला किया है। एनएसजी का कोई स्थाई कार्यालय नहीं है। एनएसजी आमतौर पर वार्षिक बैठक करता है। सभी मामलों में फैसला सर्वसम्मति के आधार पर होता है।

व्हाइट हाउस जाने से पहले पीएम मोदी भारत में यूएस के राजदूत रिचर्ड राहुल वर्मा से मुलाकात की।

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