भगत सिंह को बेगुनाह घोषित करने को पाक कोर्ट में याचिका
शहीद-ए-आजम भगत सिंह को अंग्रेजों द्वारा फांसी पर लटकाए जाने के आठ दशक बाद लाहौर उच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल कर मामले को दोबारा खोले जाने की मांग की गई है। ताकि इस मामले में दोबारा सुनवाई कर भगत सिंह को बेगुनाह साबित किया जा सके। याचिकाकर्ता के मुताबिक भगत सिंह को फर्जी मामले में फंसाकर फांसी की सजा दी गई थ्
लाहौर। शहीद-ए-आजम भगत सिंह को अंग्रेजों द्वारा फांसी पर लटकाए जाने के आठ दशक बाद लाहौर उच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल कर मामले को दोबारा खोले जाने की मांग की गई है। ताकि इस मामले में दोबारा सुनवाई कर भगत सिंह को बेगुनाह साबित किया जा सके। याचिकाकर्ता के मुताबिक भगत सिंह को फर्जी मामले में फंसाकर फांसी की सजा दी गई थी।
लाहौर के इम्तियाज रशीद कुरैशी ने याचिका में कहा है कि भगत सिंह भारतीय उप महाद्वीप के स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्हें ब्रिटिश सरकार ने मौत की सजा दी थी और 23 मार्च को लाहौर में उन्हें फांसी दे दी गई। कुरैशी ने दावा किया कि असल में भगत सिंह को पहले उम्रकैद की सजा दी गई थी, लेकिन बाद में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई। उन्हें एक फर्जी मामले में दोषी ठहराया गया।
उनके मुताबिक, शहीद-ए-आजम को सभी सम्मान देते हैं। पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी थी। गौरतलब है कि भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त को अप्रैल 1929 में केंद्रीय विधान सभा में दो बम फेंके जाने के मामले में गिरफ्तार किया गया था। घटना में कोई भी मारा नहीं गया, लेकिन भगत सिंह को ब्रिटिश पुलिस अफसर सांडर्स को गोली से उड़ा देने के मामले में दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई गई।
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