पाकिस्तानी महिलाएं लाती थीं आइएस लड़ाकों की दुल्हन
पाकिस्तान के सिंध प्रांत की आतंकरोधी पुलिस ने एक ऐसे नेटवर्क का खुलासा किया है जो आइएस आतंकियों के लिए दुल्हन और पैसे का जुगाड़ करती थीं। कराची से संचालित इस नेटवर्क में अमीर घरों की पढ़ी-लिखी करीब 20 महिलाएं शामिल थीं।
कराची। पाकिस्तान के सिंध प्रांत की आतंकरोधी पुलिस ने एक ऐसे नेटवर्क का खुलासा किया है जो आइएस आतंकियों के लिए दुल्हन और पैसे का जुगाड़ करती थीं। कराची से संचालित इस नेटवर्क में अमीर घरों की पढ़ी-लिखी करीब 20 महिलाएं शामिल थीं। इनमें से छह पकड़ी जा चुकी हैं और 14 अन्य की तलाश जारी है।
शैक्षणिक संस्थानों की युवा छात्राएं इनके निशाने पर थीं। छात्राओं को ये महिलाएं एक यूएसबी स्टिक देती थीं जिसमें इनके संभावित पति का वीडियो होता था। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक उमर खातब ने बताया कि मई में इस्मायली शिया मुसलमानों के बस पर हुए हमले में गिरफ्तारी के बाद इस नेटवर्क का खुलासा हुआ। इस हमले में 45 शिया मारे गए थे।
इस मामले में प्रोफेसर खालिद यूसुफ, आदिल मसूद बट्ट, सलीम अहमद और मोहम्मद सुलेमान सईद को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इसके बाद इस सप्ताह इनकी पत्िनयां गिरफ्तार की गई। इनसे मिले लैपटॉप, हार्ड डिस्क, यूएसबी स्टिक और दस्तावेजों से पुलिस को इस नेटवर्क के बारे में जानकारी मिली। पिछले साल हुई मानवाधिकार कार्यकर्ता सबीन महमूद की हत्या के पीछे भी यही नेटवर्क था। खातब ने बताया कि जिन महिलाओं की तलाश की जा रही है उनमें एक स्त्री रोग विशेषज्ञ भी है।
आइएस हमले में 26 असद समर्थक लड़ाकों की मौत
बेरुत : सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद के समर्थक 26 लड़ाके आइएस के हमले में मारे गए। सीरियन ऑब्जरवेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने बताया कि दीर अल जोर के करीब आतंकियों ने बुधवार सुबह इस घटना को अंजाम दिया। हमले की शुरुआत तब हुई जब तीन आत्मघाती हमलावरों ने विस्फोटक लदी कार को उड़ा दिया। धमाकों में सरकार समर्थक कम से कम 11 लड़ाकों की मौत हो गई। इसके बाद भीषण संघर्ष में 15 लड़ाके और 12 आतंकी मारे गए। इस महीने की शुरुआत में सेना ने दीर अल जोर से आतंकियों को खदेड़ने का अभियान शुरू किया गया था।
ब्रिटिश जासूसों ने मर्केल को खतरे से किया था आगाह
लंदन : ब्रिटेन की खुफिया एजेंसियों के शीर्ष अधिकारियों ने आइएस के खतरे को लेकर जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल से जानकारी साझा की थी। द टाइम्स के अनुसार पेरिस में आतंकी हमलों से पहले प्रधानमंत्री डेविड कैमरन की मौजूदगी में यह गुप्त बैठक अक्टूबर में उस समय हुई जब मर्केल ब्रिटेन की यात्रा पर थीं। ब्रिटेन और जर्मनी की खुफिया एजेंसियां पहले भी सूचनाएं साझा करती रही हैं। लेकिन, ब्रिटिश एजेंसियों के प्रमुखों द्वारा द्वारा जर्मन नेता से सूचनाएं साझा करने का यह अनूठा मामला है।