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पाकिस्तान चुनाव: किसमें, कितना दम

पाकिस्तान में 11 मई को आम चुनाव होने जा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, इस बार का मुकाबला त्रिकोणीय है, लेकिन नवाज शरीफ दौड़ में सबसे आगे चल रहे हैं। युवा वोटर इमरान खान को भी पसंद कर रहे हैं। आसिफ अली जरदारी की पार्टी को सबसे ज्यादा खामिया

By Edited By: Published: Tue, 07 May 2013 08:35 AM (IST)Updated: Tue, 07 May 2013 08:36 AM (IST)
पाकिस्तान चुनाव:  किसमें, कितना दम

नई दिल्ली। पाकिस्तान में 11 मई को आम चुनाव होने जा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, इस बार का मुकाबला त्रिकोणीय है, लेकिन नवाज शरीफ दौड़ में सबसे आगे चल रहे हैं। युवा वोटर इमरान खान को भी पसंद कर रहे हैं। आसिफ अली जरदारी की पार्टी को सबसे ज्यादा खामियाजा उठाना पड़ सकता है :

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नवाज शरीफ:

इनकी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल- नवाज) सत्ता की दौड़ में सबसे आगे चल रही है। सबसे बड़े राज्य पंजाब में इनकी जबरदस्त पकड़ के कारण इसके सबसे बड़े दल के रूप में उभरने की उम्मीद है। इस राज्य के पास ही सत्ता की चाबी है, क्योंकि 19 करोड़ की आबादी वाले इस मुल्क के आधे लोग पंजाब में रहते हैं।

इसके अलावा राष्ट्रीय असेंबली की सामान्य श्रेणी की करीब आधी सीटें भी इसी राज्य से आती हैं। ऐसे में शरीफ की इस राज्य में पकड़ के चलते वह एक बार फिर सत्ता में वापसी कर सकते हैं।

आसिफ अली जरदारी:

राष्ट्रपति जरदारी की सत्तारूढ़ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ही एकमात्र राष्ट्रीय पार्टी है, क्योंकि पूरे देश के हर प्रांत में इसका प्रभाव है। जरदारी ने पार्टी की कमान अपने कम अनुभवी बेटे बिलावल भुट्टो को सौंप रखी है।

बढ़ती बेरोजगारी, खस्ताहाल अर्थव्यवस्था, महंगाई समेत लगभग सभी मुद्दों पर सरकार की नाकामी के कारण पार्टी को सत्ता से हाथ धोना पड़ सकता है।

इमरान खान:

क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआइ) की लोकप्रियता में बढ़ोतरी हुई है। उनके अमेरिका विरोधी रवैये के कारण तालिबान प्रभावित क्षेत्रों में भी उनकी लोकप्रियता में इजाफा हुआ है।

-पंजाब : 148 सीटें

राजनीतिक रूप से सबसे शक्तिशाली प्रांत हैं। यहां से 55 प्रतिशत सदस्य चुने जाते हैं।

परंपरागत रूप से नवाज शरीफ और पीपीपी का गढ़ रहा है लेकिन इस बार इमरान खान को भी कुछ क्षेत्रों में बढ़त मिलने की उम्मीद से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। सत्ता विरोधी लहर, आतंकी हमलों का खतरा और नेतृत्वविहीन होने के कारण पीपीपी को सबसे ज्यादा खामियाजा उठाना पड़ सकता है।

-बलूचिस्तान : 14 सीटें

इस राज्य में पृथकतावादी आंदोलन चल रहा है। बलूच राष्ट्रवादियों और दक्षिणपंथी ताकतों को यहां व्यापक समर्थन है। नवाज शरीफ ने यहां राष्ट्रवादी शक्तियों से समझौता किया है।

-सिंध : 61 सीटें

मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) का व्यापारिक केंद्र कराची और राज्य के दूसरे बड़े शहर हैदराबाद में व्यापक प्रभाव है। खान अब्दुल गफ्फार खान 'सीमांत गांधी' की अवामी नेशनल पार्टी (एएनपी) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) कड़ी टक्कर दे रही हैं।

-फेडरली एडमिनिस्टर्ड ट्राइबल एरियाज (फाटा) : 14 सीटें

अफगानी सीमा से सटे इस इलाके में पाकिस्तानी सेना तालिबान के साथ संघर्ष कर रही है।

इमरान खान के अलावा कोई भी बड़ा नेता इस क्षेत्र में चुनाव प्रचार करने की हिम्मत नहीं जुटा सका है। पहली बार इस क्षेत्र में कई महिलाएं भी अपनी किस्मत आजमा रही हैं।

-इस्लामाबाद : 2 सीटें

पिछली बार दोनों सीटें नवाज शरीफ की पार्टी के खाते में गई थीं। इस बार मुकाबला

पीएमएल-एन, पीपीपी और जमात-ए-इस्लामी (जेआइ) के बीच में है।

-खैबर पख्तूनखवा : 35 सीटें

इमरान खान और नवाज शरीफ की पार्टियों के बीच मुकाबला है। पहले इस क्षेत्र में एएनपी का वर्चस्व था, लेकिन लगातार तालिबानी हमलों और भ्रष्टाचार मामलों के कारण उनकी ताकत सिकुड़ गई है।

कहां, कितनी सीटें

कुल सीटें: 342

प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचन: 272

महिलाओं के लिए आरक्षित: 60

अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित: 10

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