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पाक में कार्यवाहक पीएम पर नहीं हो पाया फैसला

इस्लामाबाद। पाकिस्तान में जनता की चुनी सरकार ने शनिवार रात पहली बार अपना कार्यकाल जैसे-तैसे पूरा कर लिया है। अब कार्यवाहक प्रधानमंत्री चुनने के मुद्दे पर देश की दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टियां पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी [पीपीपी] और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज [पीएमएल-एन] आमने-सामने हैं।

By Edited By: Published: Sat, 16 Mar 2013 08:22 PM (IST)Updated: Sat, 16 Mar 2013 08:30 PM (IST)
पाक में कार्यवाहक पीएम पर नहीं हो पाया फैसला

इस्लामाबाद। पाकिस्तान में जनता की चुनी सरकार ने शनिवार रात पहली बार अपना कार्यकाल जैसे-तैसे पूरा कर लिया है। अब कार्यवाहक प्रधानमंत्री चुनने के मुद्दे पर देश की दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टियां पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी [पीपीपी] और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज [पीएमएल-एन] आमने-सामने हैं।

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सूचना मंत्री कमर जमान कैरा ने शनिवार को कहा कि पीएमएल-एन के सुझाए दो नामों पर पीपीपी को आपत्ति है। पीपीपी को डर है कि ये लोग निष्पक्ष होकर काम नहीं करेंगे। इस बीच प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ और पंजाब, खैबर पख्तूनख्वा, बलूचिस्तान एवं सिंध प्रांत के मुख्यमंत्रियों की बैठक में यह फैसला लिया गया कि केंद्र और राज्य सरकारों के चुनाव एक ही दिन कराए जाएंगे। सभी नेताओं ने माना कि इससे प्रशासनिक और वित्तीय समस्याएं ज्यादा नहीं बढ़ेंगी। इसके अलावा राजनीतिक सौहार्द भी बना रहेगा। पाकिस्तान में आम चुनाव मई में होने वाले हैं।

कैरा ने कहा कि राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को पीएमएल-एन के एक प्रत्याशी सेवानिवृत्त जज नासिर असलम जाहिद के बहनोई की हत्या के मामले में फंसाने की कोशिश की गई थी। ऐसे हालातों में निष्पक्षता की उम्मीद कैसे की जा सकती है। राष्ट्रपति उस समय जेल में थे। इसके बावजूद उन पर आरोप लगाए गए। हालांकि, बाद में वह अदालत से रिहा हो गए थे।

कैरा ने कहा कि दूसरे प्रत्याशी रसूल बख्श पलेजो का बेटा पीपीपी के विरोधी गठबंधन में शामिल है। उन्होंने कहा कि इन नामों को देखकर ऐसा लगता है जैसे पीएमएल-एन हमारे साथ कोई मजाक कर रही है। पीएमएल-एन इससे पहले ही पीपीपी के सुझाए तीनों नामों को खारिज कर चुकी है।

प्रधानमंत्री और नेता विपक्ष को अब 19 तारीख तक कार्यवाहक सरकार के मुखिया को चुनना ही होगा। ऐसा न हो पाने पर दोनों पार्टियों के दो-दो सदस्यों को मिलाकर संसदीय समिति का गठन किया जाएगा, जिसे तीन दिन के अंदर कार्यवाहक पीएम चुनना होगा। समिति के असफल होने पर चुनाव आयोग को यह जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।

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