अमेरिकी इतिहासकार ने पाक से की 'कनिष्क स्तूप' को 8वां अजूबा बनाने की मांग
एक अमेरिकी इतिहासकार ने पाकिस्तान स्थित कनिष्क स्तूप को दुनियां का आठवां अजूबा घोषित करने की मांग की है।
पेशावर (पीटीआई)। एक प्रतिष्ठित अमेरिकी इतिहासकार और विद्वान ने पाकिस्तान सरकार से आग्रह किया है कि वह प्राचीन बौद्ध स्मारक कनिष्क स्तूप को दुनिया का आठवां अजूबा बनाने के लिए यूनेस्को से बात करे। इतिहासकार ने इस स्मारक को यह दर्जा दिलाने का प्रमुख आधार इस स्तूप का शानदार निर्माण ढांचा बताया है।
अमजद हुसैन ने पेशावर स्थित विक्टोरिया हॉल में आयोजित ‘कनिष्क विहार, एक प्राचीन पीपल वृक्ष और एक पवित्र भिक्षापात्र’ शीषर्क वाले व्याख्यान (लेक्चर) में कहा कि कभी पेशावर में रहा यह स्तूप दुनिया में अपनी महत्वपूर्ण संरचना, इंसानी मेहनत की रचनात्मकता की बानगी और ऐतिहासिक किताबों में इसके उल्लेख की वजह से आठवां अजूबा घोषित किए जाने के योग्य है।
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हुसैन ने कहा कि जापान और चीन से इस स्थान को अधिग्रहित करने का अनुरोध करने के अलावा यूनेस्को से कनिष्क स्तूप को एक वैश्विक विरासत स्थल घोषित करने के लिए बात करनी चाहिए। पेशावर के हुसैन अमेरिका में हृदय संबंधी समस्याओं के प्रोफेसर हैं और इतिहास, संस्कृति, धर्म और पेशावर की भाषाई और सांस्कृतिक विरासत जैसे अलग विषयों पर 16 पुस्तकें प्रकाशित कर चुके हैं।
हुसैन ने इस प्राचीन स्थल के इतिहास के बारे में कहा कि पेशावर शहर से कुछ दूरी पर स्थित गंज गेट पर, जिसे शाह जी की ढेरी के नाम से जाना जाता है वह एक ऐसा स्थान है, जहां एक स्तूप हुआ करता था। यह स्तूप पहली सदी में ईसा पश्चात कुषाण कनिष्क के शासनकाल में बना था।
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