चौक का नाम भगत सिंह रखने पर रोक तीन हफ्ते बढ़ी
लाहौर। पाकिस्तान में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अदालत में दो याचिका दायर कर उस मामले में पक्षकार बनाने का आग्रह किया है, जिसमें लाहौर के एक चौराहे का नाम शहीद-ए-आजम भगत सिंह के नाम पर रखने को चुनौती दी गई है।
लाहौर। पाकिस्तान की एक अदालत ने बुधवार को लाहौर में शादमान चौक का नाम शहीद-ए-आजम भगत सिंह पर रखे जाने के फैसले पर तीन हफ्ते के लिए रोक बढ़ा दी है। एक सरकारी समिति ने जमात-उद-दावा [जेयूडी] जैसे उग्रवादी संगठनों के कड़े विरोध को नजरअंदाज करते हुए कुछ दिन पहले यहां शादमान चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने की अनुमति दी थी।
इस फैसले के खिलाफ जेयूडी के सहयोगी तहरीक हुरमत-ए-रसूल ने याचिका दायर की है। लाहौर हाई कोर्ट के न्यायाधीश नासिर सईद शेख ने इस संबंध में पंजाब सरकार और लाहौर जिला प्रशासन द्वारा जवाब दाखिल न करने के कारण रोक की मियाद को बढ़ा दिया है। तहरीक हुरमत-ए-रसूल की ओर याचिका दायर करने वाले स्थानीय व्यापारी जाहिद बट ने आरोप लगाया है कि भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग [रॉ] ने शादमान चौक का नाम बदलने के लिए भगत सिंह फाउंडेशन को धन दिया। उसने दावा किया कि फाउंडेशन ने चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर करने को लेकर दिलकश लाहौर समिति के साथ काम किया है। इस समिति ने ही चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने की अनुमति दी थी।
सामाजिक कार्यकर्ता उतरे समर्थन में: सामाजिक कार्यकर्ताओं ने लाहौर हाई कोर्ट में दो याचिका दायर करके चौक का नाम बदले जाने के मामले में खुद को पक्षकार बनाने का आग्रह किया है। तैमूर रहमान और सईदा दाइप ने अपने वकील यासिर लतीफहमदनी के माध्यम से मंगलवार को लाहौर हाई कोर्ट में याचिका दायर की। कार्यकर्ताओं ने दलील दी कि शादमान चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर रखना देशभक्ति की सर्वोच्च मिसाल होगी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान मुस्लिम देश है जहां हर कोई मुहम्मद साहब का सम्मान करता है। तहरीक-ए-हुरमत-ए-रसूल को इस मामले में हस्तक्षेप का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि भगत सिंह इस्लाम या पैगंबर साहब के खिलाफ द्वेष नहीं रखते थे। उन्होंने दलील दी कि भगत सिंह गैर सांप्रदायिक स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ उपमहाद्वीप की स्वतंत्रता के लिए मुसलमानों समेत सभी के लिए आजादी की लड़ाई लड़ी। हालांकि हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार आफिस ने दोनों याचिकाओं पर आपत्ति जाहिर की है।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि तहरीक-ए-हुरमत-ए-रसूल चौक का नाम भगत सिंह रखे जाने से इसलिए नाराज था क्योंकि पूर्व में इसका नामकरण चौधरी रहमत अली पर किया गया था, जिन्होंने अपने लेख में पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना के खिलाफ अपशब्द लिखे थे। उन्होंने कहा कि यह सच है कि अली ही पाकिस्तान नाम लेकर आए थे, लेकिन इस बात से सभी वाकिफ हैं कि 1947 में इसके निर्माण के बाद उन्होंने देश से दूरी बना ली थी। उन्होंने अपना जीवन ब्रिटेन में बिताना पसंद किया और जिन्ना और मुस्लिम लीग के खिलाफ लिखा। उन्होंने तर्क दिया कि चौक का नाम बदलने का फैसला देश विरोधी नहीं है।
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