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सीरिया में दिखने लगा संघर्ष विराम का असर

सीरिया में रूस और ईरान राष्ट्रपति बशर अल-असद के पक्ष में हमले कर रहे हैं, जबकि अमेरिका, तुर्की और खाड़ी देश असद विरोधी विद्रोहियों के साथ हैं।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Sun, 09 Jul 2017 07:19 PM (IST)Updated: Sun, 09 Jul 2017 07:19 PM (IST)
सीरिया में दिखने लगा संघर्ष विराम का असर
सीरिया में दिखने लगा संघर्ष विराम का असर

बेरुत, रायटर। जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन के साथ पहली मुलाकात सीरिया के लिए राहत लेकर आई है। दोनों नेताओं के बीच दक्षिण-पश्चिम सीरिया (डेरा, सुवेदा और कुनित्रा प्रांत) में संघर्ष विराम पर बनी सहमति रविवार से अमल में आ गई है। इसमें जॉर्डन भी शामिल है।

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छह साल से खूनी संघर्ष की आग में झुलस रहे सीरिया में फिर शांति बहाली की पहल की गई है। इस बार अमेरिकी और रूसी राष्ट्रपति सीधे तौर पर इसमें शामिल हैं। इसी का नतीजा है कि दोनों देशों के बीच जर्मनी के हैम्बर्ग में बनी सहमति पर एक दिन बाद ही अमल भी शुरू हो गया। अंतरराष्ट्रीय ताकतों द्वारा सीरिया में पूर्व में भी संघर्ष विराम के कई असफल प्रयास किए जा चुके हैं। हालांकि, अभी यह तय नहीं है कि रूस समर्थित सीरियाई सेना और दक्षिण-पश्चिम में सक्रिय अमेरिका समर्थित विद्रोही ताजा पहल पर किस हद तक अमल करते हैं।

अमेरिकी विदेश विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि समझौते के विभिन्न पहलुओं खासकर संघर्ष विराम की निगरानी के मुद्दे पर व्यापक विचार-विमर्श होना बाकी है। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के अनुसार, संघर्ष विराम समझौते में युद्धग्रस्त क्षेत्रों में फंसे लोगों तक मानवीय मदद और विपक्षियों के बीच संपर्क स्थापित करने की बात शामिल है। इसके अलावा संघर्ष विराम की निगरानी के लिए जॉर्डन की राजधानी अम्मान में केंद्र भी स्थापित किया जा रहा है।

सीरिया में रूस और ईरान राष्ट्रपति बशर अल-असद के पक्ष में हमले कर रहे हैं, जबकि अमेरिका, तुर्की और खाड़ी देश असद विरोधी विद्रोहियों के साथ हैं। पिछले छह वर्षो से जारी संघर्ष में हजारों लोगों को जान गंवानी पड़ी है, जबकि लाखों को घर-बार छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है। सीरिया संघर्ष के कारण दुनिया में शरणार्थी संकट की समस्या भी गहरा गई है।

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