Move to Jagran APP

क्या आप फिट नहीं हैं? तो जीन को दें दोष!

शोधकर्ताओं ने हाल ही में यह पता लगाया है कि हमारे शरीर में मौजूद आनुवांशिक कोशिकाओं में परिवर्तन होता रहता है और वे कई तरह से हमारे स्वास्थ्य पर प्रभाव डालती हैं। उनके अनुसार पीढ़ी दर पीढ़ी जीनों के समूह में न केवल बदलाव होता रहता है, बल्कि एक-एक कोशिका में भी परिवर्तन होता है। शोधकर्ताओं ने शोध के दा

By Edited By: Published: Sat, 26 Apr 2014 11:40 AM (IST)Updated: Sat, 26 Apr 2014 11:44 AM (IST)
क्या आप फिट नहीं हैं? तो जीन को दें दोष!

टोरंटो। शोधकर्ताओं ने हाल ही में यह पता लगाया है कि हमारे शरीर में मौजूद आनुवांशिक कोशिकाओं में परिवर्तन होता रहता है और वे कई तरह से हमारे स्वास्थ्य पर प्रभाव डालती हैं। उनके अनुसार पीढ़ी दर पीढ़ी जीनों के समूह में न केवल बदलाव होता रहता है, बल्कि एक-एक कोशिका में भी परिवर्तन होता है।

loksabha election banner

शोधकर्ताओं ने शोध के दौरान, आरएनए में परिवर्तन और आधारभूत चयापचयी क्रिया के बीच संबंध का भी पता लगाया है, जिनकी वजह से शरीर में जाने वाले भोजन को ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। अगर डीएनए शरीर का प्रीटिंग प्रेस है, तो आरएनए प्रिंट है, जो पीछे रहता है। यानी डीएनए एक जीव के शरीर के क्रियाकलापों को सुनिश्चित करता है। शोधकर्ताओं के अनुसार एक माइटोकॉन्ड्रिया के आरएनए में परिवर्तन से आपकी फिटनेस पर प्रभाव पड़ता है। कनाडा के मॉन्ट्रियल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता एलन हॉजकिनसन का कहना है कि माइटोकॉन्ड्रिया हमारी कोशिकाओं के ऊर्जा के केंद्र होते हैं और कोशिकाओं को ऊर्जा की आवश्यकता होती है और साथ ही हमारी मांसपेशियों की ताकत के लिए ज्यादा से ज्यादा माइटोकॉन्ड्रिया की आवश्यकता होती है। उन्होंने बताया कि एक ही कोशिका में कई माइटोकॉन्ड्रिया की मौजूदगी अलग-अलग आनुवांशिक उत्तराधिकार के लिए जरूरी होती है। हमारे शोध ने हमें विभिन्न प्रकार के माइटोकॉन्ड्रिया की आरएनए प्रक्रिया और इसका हमारे स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव को समझने में मदद की।

शोध के परिणामों से हम यह समझ पाने में कामयाब हुए हैं कि किस तरह आनुवांशिकी हमारे स्वास्थ्य पर प्रभाव डालती है। विश्व में आनुवांशिकी के संबंध में प्रभावशाली जानकारी देने वाले संस्थानों में से एक कनाडा के कार्ट ए जीन के निदेशक फिलिप अवाडाला ने कहा कि हमने यह पाया है कि जीनों के समूहों की क्षमता में स्वत: ही परिवर्तन आता है। कनाडा के 1000 प्रतियोगियों पर किया गया यह अध्ययन विश्व में सबसे बड़ा आरएनए अनुक्रमण है। यह अध्ययन जर्नल साइंस में प्रकाशित हुआ है।

पढ़ें : कॉफी पीओ और डायबिटीज के खतरे को कम करो

पढ़ें : व्यायाम में सेक्स को करें शामिल और कैलोरी से पाए मुक्ति!


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.