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नेपाल में 81 साल का सबसे शक्तिशाली भूकंप, हजारों की मौत [Pic]

हिमालय की गोद में बसे नेपाल में शनिवार को शक्तिशाली भूकंप के झटकों ने बर्बादी की नई इबारत लिख दी। हर ओर तबाही का मंजर, हर चेहरे पर दहशत, आंखों में आंसू और आसमान में मलबे का गुबार है। 7.9 की तीव्रता वाले भूकंप से 1500 की मौत हो गई

By Kamal VermaEdited By: Published: Sat, 25 Apr 2015 11:03 PM (IST)Updated: Sun, 26 Apr 2015 07:55 AM (IST)
नेपाल में 81 साल का सबसे शक्तिशाली भूकंप, हजारों की मौत [Pic]

काठमांडू। हिमालय की गोद में बसे नेपाल में शनिवार को शक्तिशाली भूकंप के झटकों ने बर्बादी की नई इबारत लिख दी। हर ओर तबाही का मंजर, हर चेहरे पर दहशत, आंखों में आंसू और आसमान में मलबे का गुबार है। 7.9 की तीव्रता वाले भूकंप से 1500 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। मृतकों का आंकड़ा हर बीतते पल के साथ बढ़ रहा है। देश में आपातकाल लगा दिया गया है। नेपाल की मदद के लिए सबसे पहले भारत ने हाथ बढ़ाया और एनडीआरएफ टीम के साथ साथ खाने-पीने का सामान भी नेपाल भेजा है। इसके अलावा इजराइल और अमेरिका ने भी मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाए हैं।

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इससे पहले नेपाल में 15 जनवरी 1934 को 8.4 तीव्रता का भूकंप आया था जिसमें 8500 लोगों की मौत हो गई थी। पूरे नेपाल में भूकंप के तेज झटके के साथ कुल सत्रह बार भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिससे लोगों के दिलों में दहशत बैठ गई। इसकी वजह से नेपाल में जहां 1500 लोगों की जान गई है वहीं भारत में 36, तिब्बत में 12 और बांग्लादेश में 4 लोगों की मौत की खबर है।

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हजारों घायल, सैकड़ों लापता

कई हजार लोग घायल हुए हैं। सैकड़ों लापता हैं। अस्पतालों में जगह नहीं होने के कारण सड़कों पर घायलों का इलाज किया जा रहा है। सबसे ज्यादा 750 लोग काठमांडू घाटी में मारे गए हैं। इसके अलावा सिंधु में 250, भक्तपुर में 150, ललितपुर में 67, धादिंग में 37, पूर्वोतर नेपाल में 20, पश्चिमी नेपाल में 33 लोगों के मरने की खबर है। एवरेस्ट का बेस कैंप तबाह हो गया है और हिमस्खलन शुरू हो गया है। वहां 18 के मरने की खबर है। एक हजार पर्वतारोही फंसे हुए हैं। इनमें 400 विदेशी हैं। अलग-अलग जगहों पर तीन लाख पर्यटक भी फंसे हुए हैं। काठमांडू का अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बंद कर दिया गया है। जगह-जगह सड़कें धंसने से वाहनों की रफ्तार थम गई। संचार सेवाएं भी ध्वस्त हो गई हैं।

धरहरा टावर के मलबे से मिले 250 शव

राजधानी काठमांडू और दूसरे सबसे बड़े शहर पोखरा में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। यूनेस्को विश्व विरासत स्थल में शुमार काठमांडू का दरबार चौक, ऐतिहासिक धरहरा टावर पूरी तरह बर्बाद हो गया है। धरहरा टावर के मलबे से खबर लिखने तक 250 शव बरामद हो चुके थे। वहां कुछ और लोगों के दबे होने की आशंका है। जनकपुर के नौलखा मंदिर को भी नुकसान की खबरें हैं।

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लामजुंग था भूकंप का केंद्र

भूकंप का केंद्र पोखरा से 73 किमी पूर्व में स्थित लामजुंग में दो किमी गहराई में था। पहला झटका स्थानीय समयानुसार सुबह के 11 बजकर 42 मिनट पर महसूस किया गया। इसके बाद थोड़ी-थोड़ी देर पर कम से कम 16 और झटके महसूस किए गए। नेपाल में धरती इतने जोर से 81 साल बाद हिली है। इससे पहले 1934 में 8.4 की तीव्रता का भूकंप आया था जिसमें 8500 लोगों की मौत हो गई थी।

एवरेस्ट का बेस कैंप तबाह

नेपाल में शनिवार को कुल सत्रह बार भूकंप के झटके महसूस किए गए। इसकी वजह से एवरेस्ट का बेस कैंप तबाह हाे गया और पवर्तारोहियों को अपना मिशन अधूरे में छोड़कर वापस लौटने को मजबूर होना पड़ा। तेज भूकंप के झटकों की वजहों से कई जगहों पर हिमस्खलन भी आया जिसमें दस पवर्तारोहियों के मारे जाने और एक पर्वतारोही के घायल होने की खबर है। इसकी वजह से करीब एक हजार पवर्तारोही अलग-अलग जगह फंसे हैं। नेपाल में भूकंप के बाद संचार सेवाएं पूरी तरह से ध्वस्त हो गई हैं। वहीं सड़कों पर घायलों का इलाज किया जा रहा है। भूकंप के मद्देनजर काठमांडू हवाई अड्डा भी बंद कर दिया गया और सभी विमानों का रूट बदलकर भारत की ओर कर दिया गया।

यहां भी झटके

भूकंप के झटके चीन, पाकिस्तान, भूटान और बांग्लादेश में भी महसूस किए गए। तिब्बत में एक 83 वर्षीय महिला समेत 12 लोगों की मौत हो गई। कई इमारतों को भारी नुकसान हुआ है। झटके ल्हासा और शिगात्से शहरों में महसूस किया गया। नेलम शहर में घर क्षतिग्रस्त हो गए। चीन-नेपाल सीमा पर दूरसंचार सेवाएं ठप हो गई। बांग्लादेश में एक महिला सहित चार लोगों की मौत हो गई और 60 अन्य घायल हो गए।

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तस्वीरों में देखें: नेपाल में आई तबाही का मंजर


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