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नासा का चंद्र अध्ययन यान दुर्घटनाग्रस्त

वाशिंगटन, प्रेट्र : चंद्रमा के वातावरण और धूलकणों के पर्यावरणीय अध्ययन के लिए रवाना हुआ अंतरिक्ष यान 'लैडी' (एलएडीईई) चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस तरह अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का छह माह का यह मिशन खत्म हो गया। सोमवार को नासा ने एक बयान में ये जानकारी दी है। हादसे के समय लैडी अंतरिक्ष यान चंद्रमा की सतह से सिर्फ

By Edited By: Published: Tue, 22 Apr 2014 09:40 AM (IST)Updated: Tue, 22 Apr 2014 11:48 AM (IST)
नासा का चंद्र अध्ययन यान दुर्घटनाग्रस्त

वाशिंगटन। चंद्रमा के वातावरण और धूलकणों के पर्यावरणीय अध्ययन के लिए रवाना हुआ अंतरिक्ष यान 'लैडी' (एलएडीईई) चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस तरह अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का छह माह का यह मिशन खत्म हो गया। सोमवार को नासा ने एक बयान में ये जानकारी दी है।

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हादसे के समय लैडी अंतरिक्ष यान चंद्रमा की सतह से सिर्फ दो किलोमीटर ऊपर था। जिस समय यह अंतरिक्ष यान नष्ट हुआ, उसकी गति 5,800 किलोमीटर प्रति घंटे थी। ये रफ्तार बंदूक से निकली बुलेट की रफ्तार की भी तीन गुना है। इस यान में चंद्रमा की कक्षा से लंबी अवधि के संपर्क को (वैज्ञानिक प्रक्रिया) को बरकरार रखने के लिए आवश्यक ईधन का अभाव हो गया था। नासा के मुताबिक यह अंतरिक्षयान मिशन को साकार करने के क्रम में अंतिम कम-ऊंचाई वाले चरण में नष्ट हुआ। इस परियोजना से जुड़े अभियंताओं को मानना है कि चंद्रमा की सतह पर एक वेंडिंग मशीन के आकार के लैडी में लगे पदार्थ हजारों डिग्री तापमान पर पूरी तरह पिघल गए। इस मिशन से जुड़े वैज्ञानिक रिक एल्फिक ने कहा कि जिस समय यह हादसा हुआ, लैडी की गति एक उच्च ताकत वाले राइफल की गोली की गति की तीन गुना थी।

नासा के अधिकारी अब इस हादसे की तस्वीरें हासिल करने और उसके कारणों की जांच में लगे हैं। उनका कहना है कि इस हादसे से अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी को खासा नुकसान हुआ है। इससे उनके आगे के अभियानों की तैयारी पर भी असर पड़ेगा।

गौरतलब है कि चंद्र अध्ययन संबंधी यह यान अप्रैल के शुरुआत में गतिशील हुआ था। 11 अप्रैल को प्रक्षेपण पथ सुनिश्चित करने की दिशा में आखिरी बार इस यान को अंतिम टच दिया गया था। लैडी यान हाल के 14-15 अप्रैल को हुए चंद्र ग्रहण के दौरान भी सफलतापूर्वक संचालित हुआ था। उसने लेजर बीम का इस्तेमाल करते हुए चांद से 384,633 किलोमीटर की दूरी से बीम धरती पर भेजने में ऐतिहासिक सफलता हासिल की थी।

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