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बांग्लादेश की तरह बलूचिस्तान बनाने में भारत करे मदद : नइला कादरी

बलोच कार्यकर्ता नइला कादरी ने कहा कि झूठ की बुनियाद पर खड़ा पाकिस्तान बलूची लोगों को हमेशा से दोयम दर्जे का नागरिक मानता रहा है। उन्होंने भारत सरकार से अलग बलूचिस्तान देश के निर्माण में मदद की अपील की।

By Lalit RaiEdited By: Published: Sun, 03 Apr 2016 08:30 AM (IST)Updated: Sun, 03 Apr 2016 02:49 PM (IST)
बांग्लादेश की तरह बलूचिस्तान बनाने में भारत करे मदद : नइला कादरी

इस्लामाबाद। पाकिस्तान भारत पर हमेशा तोहमत लगाता रहा है कि भारत रॉ की मदद से बलूचिस्तान में आतंकवाद फैलाता है। लेकिन मशहूर बलोच कार्यकर्ता नइला कादरी ने कहा पाकिस्तान के हुक्मरान हमेशा से बलूची लोगों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार करते आए हैं। उन्होंने मांग किया कि जिस तरह भारत सरकार ने पूर्वी पाकिस्तान के लोगों को पश्चिमी पाकिस्तान के हुक्मरानों से आजाद कराया था। ठीक वैसे ही भारत को बलूचिस्तान की आजादी के लिए सामने आना चाहिए।

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बलोच समुदाय के लोग भारत की तरफ उम्मीदभरी नजरों से देख रहे हैं। बांग्लादेश का निर्माण पाकिस्तान हुक्मरानों की जुल्म और उपेक्षा का नतीजा था। बलूचिस्तान में बुनियादी अधिकार से लोग मरहूम हैं। और इस्लामाबाद को बलूची लोगों की पीड़ा से किसी तरह का वास्ता नहीं है।

कादरी ने कहा कि पाकिस्तान के हुक्मरानों की ये आदत बन चुकी है कि बलूचिस्तान में हिंसा की किसी भी वारदात के लिए वो भारत का नाम लेते हैं। पाकिस्तान में कथित रॉ अधिकारी की गिरफ्तारी पर कादरी ने कहा कि पाकिस्तान को झूठ बोलने की आदत है। रॉ आफिसर की गिरफ्तारी उसी का हिस्सा है। सच ये है कि पाकिस्तान का निर्माण झूठ की बुनियाद पर हुआ था।

उन्होंने कहा कि चीन-पाक कॉरिडोर का सवाल ही नहीं है। बलूचिस्तान कोई कॉरिडोर नहीं है बल्कि उनका अपना देश है।

बलूचिस्तान की आजादी के लिए ह्वाइट हाउस के सामने प्रदर्शन

बलूचिस्तान, पाकिस्तान का पश्चिमी प्रांत है। यह ईरान और अफगानिस्तान के सटे हुए क्षेत्रों में बंटा हुआ है। यहां की राजधानी क्वेटा है। बलूचिस्तान में प्रमुख तौर पर बलूची भाषा बोली जाती है। 1944 के आस पास स्वतंत्र बलूच राष्ट्र का विचार जनरल मनी को आया लेकिन भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद बलूचिस्तान को पाकिस्तान में शामिल किया गया । 1970 के बाद पाकिस्तान से अलग होने के लिए बलोची समुदाय के लोग सड़कों पर उतरे और एक संगठित अभियान की शुरुआत की। जिसे दबाने के लिए पाकिस्तान ने दमन का सहारा लिया। पाकिस्तान के हुक्मरान अक्सर ये आरोप लगाते रहते हैं कि पाकिस्तान को अस्थिर करने के लिए भारत अपनी खुफिया एजेंसी रॉ की मदद से बलूचिस्तान में बागियों की मदद करता है।


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