भारतीय मूल के अमेरिकियों से खुले दिल से मिले मोदी
सिलिकन वैली में 18500 से ज्यादा भारतीय-अमेरिकियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन का जहां इंतजार है, वहीं यहां तीन रातें गुजारने वाले प्रधानमंत्री ने मुलाकातियों को निराश नहीं होने दिया। अनुमान है कि यहां कोई सौ से ज्यादा लोगों के साथ उन्होंने खुले दिल से मुलाकात की। जिस होटल
न्यूयार्क। सिलिकन वैली में 18500 से ज्यादा भारतीय-अमेरिकियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन का जहां इंतजार है, वहीं यहां तीन रातें गुजारने वाले प्रधानमंत्री ने मुलाकातियों को निराश नहीं होने दिया। अनुमान है कि यहां कोई सौ से ज्यादा लोगों के साथ उन्होंने खुले दिल से मुलाकात की। जिस होटल में प्रधानमंत्री का डेरा है वहां की लॉबी में मुलाकातियों को प्रतीक्षा करते देखा गया। उनकी मुलाकात की कहानी सोसल मीडिया पर पोस्ट की गई तस्वीरें बयां करती हैं।
दिल्ली से यहां तक लंबी यात्रा के क्रम मोदी ने बस थोड़ी देर के लिए आयरलैंड के डबलिन में विश्राम किया था। होटल के बाहर झलक पाने के लिए डेरा जमाए लोग ड्रम की आवाज के बीच नारे भी बुलंद करते रहे। अपने समर्थकों से मिलने के लिए मोदी सिक्रेट सर्विस की निगरानी में बाहर आए थे। वाल्ड्रॉफ एस्टोरिया के भीतर कुछ दर्जन भर लोग लॉबी में प्रतीक्षा कर रहे थे। भारतीय मूल के इन अमेरिकियों को प्रधानमंत्री व्यक्तिगत रूप से जानते थे इसलिए उन्हें अपने मुलाकात कक्ष में बुलाया। तीन बैच में उन्होंने सभी से मुलाकात की।
उनसे मुलाकात करने वालों में से एक शख्स ने पिछले सितंबर में मैडिसन स्क्वायर गार्डन में रंगारंग स्वागत समारोह का सफल आयोजन कराया था। उस समारोह में 20,000 लोग जुटे थे।
उसी रात उन्होंने भारतीय अमेरिकियों के एक और दल से मुलाकात की। उनसे भारत-अमेरिका संबंध से संबंधित विभिन्न नीतिगत मुद्दों पर राय ली। अपना नाम जाहिर नहीं होने देने की शर्त पर एक सामुदायिक नेता ने बताया कि रक्षा के बारे में बातचीत हुई।
बुधवार की रात उन्होंने हिंदू अमेरिकी फाउंडेशन के असीम छाबरा से मुलाकात की। छाबरा ने प्रधानमंत्री को इंजीनियरिंग, लिबरल आर्ट और विज्ञान के 200 प्रमुख अध्येताओं के हस्ताक्षर से युक्त स्वागत पत्र भेंट किया। मोदी ने हालचाल जानने के लिए उनसे गुजराती में पूछा, 'केम छो असमीभाई।'
इन सभी मुलाकातों में मोदी ने हर किसी के साथ तस्वीर खिंचवाई। गुरुवार और शुक्रवार दोनों दिन विभिन्न तरह की व्यस्तताओं के बीच उनसे मिलने आने वालों का तांता लगा रहा। उनके इंतजार में घंटों तक लोग जमे रहे और जो निराश हुए उनकी संख्या बस थोड़ी सी ही रही।