अपना दूध पीकर और खुद को जमीन में गाड़कर बचाई जान
चारों ओर घना जंगल, सुनसान रास्ते... और कहीं दूर से हवा को चीरकर आती हुई जंगली जानवरों की आवाजें... ऐसे में जब बड़े से बड़े दिलवालों के हौसले पस्त हो जाए... तब एक 29 वर्षीय महिला ने सूझबूझ और बहादुरी से अपनी जान बचाई।
वेलिंगटन। चारों ओर घना जंगल, सुनसान रास्ते... और कहीं दूर से हवा को चीरकर आती हुई जंगली जानवरों की आवाजें... ऐसे में जब बड़े से बड़े दिलवालों के हौसले पस्त हो जाए... तब एक 29 वर्षीय महिला ने सूझबूझ और बहादुरी से अपनी जान बचाई।
रविवार को न्यूजीलैंड में आयोजित 20 किलोमीटर की लंबी दौड़ में हिस्सा ले रही स्युजन ओ ब्रायन साउथ वेलिंगटन के एक जंगल में रास्ता भटक गई। इधर-उधर भटकती भूखी-प्यासी स्युजन... पर रास्ता था कि मिलने का नाम नहीं ले रहा था। शाम ढल गई और रात का अंधियारा अपने पैर फैलाने लगा। धना जंगल ऊपर से बारिश और तेज हवाएं... हल्के कपड़ों में छूटती कंपकंपी... एक बारगी स्युजन को लगने लगा कहीं यह बीहड़ जंगल ही उसकी अंतिम सांसों का चश्मदीद गवाह न बन जाए। उसने अपनी इच्छाशक्ति को जगाया... अपनी आठ माह की बेटी, दो साल के बेटे और पति को याद किया, जो उसका बेसब्री से इंतजार कर रहे होंगे। इसके बाद उसने ईश्वर की प्रार्थना करना शुरू कर दिया।
अचानक स्युजन को कुछ सूझा और उसने जमीन में एक गड्ढा खोद लिया। इसके बाद वह गड्ढे में घुस गई। अब वह ठंड से तो बच गई... परंतु पेट की आग विकराल होने लगी... शरीर की ताकत कम होने लगी... ऐसे में उसे मात्र एक ही रास्ता नजर आया। उसने अपना दूध निकाला और पी गई। गड्ढे के अंदर की गर्माहट और दूध की एनर्जी के साथ उसने पूरी रात वहीं गुजारी। सोमवार सुबह बचाव दल के एक हेलीकॉप्टर ने स्युजन को खोजा और सुरक्षित वापस ले लाया। अस्पताल में चैकअप के लिए ले जाने से पहले स्युजन को अपने पति व बच्चों से मिलवाया गया, जिन्हें देख उसकी आंखों से खुशी के आंसू रुके नहीं रुक रहे थे।
मीडिया से बातचीत में स्युजन ने बताया कि वह खुद को ठंड से बचाए रखने के लिए मिट्टी अपने ऊपर डालती रही। जब भी मुझे कोई आवाज सुनाई देती मैं जोर से मदद के लिए चीख पड़ती। आज सुबह हीट डिटेक्टिंग सेंसर लगे एक हेलीकॉप्टर ने उसे ढूंढ निकाला। आठ माह पहले मां बनने की वजह से मैं अपना खुद का दूध पी पाई। इसने मुझे ताकत दी और मेरे जीवन की रक्षा की।