वैश्िवक मंदी से कुपोषण के शिकार हुए आंध्र के बच्चे
2009 में वैश्िवक मंदी के चलते आंध्र प्रदेश में बच्चों में कुपोषण के मामले सामने आए थे। एक अध्ययन में यह दावा किया गया है। यह अध्ययन भारत के जन स्वास्थ्य प्रतिष्ठान, ऑक्सफोर्ड विवि के समाजविज्ञान विभाग, स्टेनफोर्ड विवि और लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन ने संयुक्त रूप
लंदन। 2009 में वैश्िवक मंदी के चलते आंध्र प्रदेश में बच्चों में कुपोषण के मामले सामने आए थे। एक अध्ययन में यह दावा किया गया है। यह अध्ययन भारत के जन स्वास्थ्य प्रतिष्ठान, ऑक्सफोर्ड विवि के समाजविज्ञान विभाग, स्टेनफोर्ड विवि और लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन ने संयुक्त रूप से किया है।
अध्ययन के लिए विशेषज्ञों ने आंध्र प्रदेश में ऐसे बच्चों का आकलन किया जिनका वजन कुपोषण के कारण उनकी लंबाई की तुलना में कम था। शोधकर्ताओं ने पाया कि वर्ष 2002 से 2006 तक आंध्र प्रदेश में बच्चों में पोषण का स्तर अधिक था, जबकि 2009 में यह स्तर नीचे गिरा था। वर्ष 2006 की तुलना में 2009 के दौरान कुपोषण में 10 फीसद की बढ़ोतरी देखी गई थी। इस दौरान 28 फीसद बच्चों में पोषण से जुड़ी कमियां सामने आई थीं।
शोधकर्ताओं के अनुसार 2007 से 2009 के दौरान बढ़ी कीमतों के कारण बच्चों की खुराक में कमी देखी गई थी। यह आकलन मध्य एवं निम्न वर्ग को आधार बनाकर किया गया है। उच्च आय वाले परिवारों को इस अध्ययन में शामिल नहीं किया गया है। शोध के नतीजे यह भी साबित करते हैं कि गरीब परिवारों में खाद्यान्न का भंडारण बहुत कम होता है और वह जल्दी ही बढ़ती कीमतों की चपेट में आ जाते हैं।
भारतीय जन स्वास्थ्य प्रतिष्ठान के डॉ. सुकुमार वेल्लाकल के अनुसार, 'कम कीमतों पर अनाज मुहैया कराने वाली जन वितरण प्रणाली के बावजूद गरीब घरों पर कुपोषण का असर सबसे ज्यादा पड़ता है। इसलिए निर्धन परिवारों के लिए देश में बेहतर खाद्यान्न सुरक्षा प्रणाली का होना जरूरी है।'