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रक्का पर कब्जे के नजदीक यूएस समर्थित आर्मी, आगे क्या होगा ये है बड़ी चिंता

एसडीएफ ने उत्तरी सीरियाई क्षेत्र से पिछले अठाहर महीने में आइएसआइएस लड़ाकों को खदेड़ दिया।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Mon, 26 Jun 2017 07:06 PM (IST)Updated: Tue, 27 Jun 2017 12:25 PM (IST)
रक्का पर कब्जे के नजदीक यूएस समर्थित आर्मी,  आगे क्या होगा ये है बड़ी चिंता
रक्का पर कब्जे के नजदीक यूएस समर्थित आर्मी, आगे क्या होगा ये है बड़ी चिंता

दमिश्क,[स्पेशल डेस्क]। सीरिया में अमेरिका के समर्थन वाले कुर्द और अरब विद्रोहियों ने आइएसआइएस के जेहादियों के खिलाफ अपनी लड़ाई को और तेज करते हुए रविवार को इसके गढ़ रक्का के अल- कदिसिया जिले को अपने कब्जे में ले लिया। सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज (एसडीएफ) ने इस शहर से इस्सामिक स्टेट को उखाड़ फेंकने के लिये इस महीने बड़ा अभियान छेड़ा था। सोशल मीडिया के जरिए एक बयान जारी कर बताया गया कि तीन दिनों तक भारी लड़ाई के बाद आखिरकार रक्का के पश्चिमी हिस्से में स्थित कदिसिया को अपने कब्जे में ले लिया गया है।

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पीछे भागने पर मजबूर आइएसआइएस लड़ाके

एसडीएफ ने उत्तरी सीरियाई क्षेत्र से पिछले अठारह महीने में आइएसआइएस लड़ाकों को खदेड़ बाहर किया। इसके साथ ही तुर्की समर्थित सीरियन विद्रोहियों ने भी इन्हें पीछे भागने पर मजबूर कर दिया। जबकि, सीरियाई सेना ने इसके खिलाफ अपनी लड़ाई और तेज़ करते हुए इस साल कई जगहों को इनसे खाली करवा लिया। यूएस समर्थित गठबंधन की सेना ने रक्का में कट्टरपंथी समूह समेत आइएसआइएस के नेताओं के खिलाफ पूरे मुहिम में एसडीएफ को हथियार और हवाई हमलों के जरिए समर्थन किया।

आइएसआइएस से जुड़ें कई महत्वपूर्ण लोग मारे गए

गठबंधन सेना ने कहा कि इस महीने हवाई हमले में इन्होंने बहरीन के एक धार्मिक नेता तुर्की बिनाली को मार गिराया। जिसके पास इस कट्टरपंथी समूह का बड़ा धार्मिक अधिकार था और इस्लामिक स्टेट में इन्हें सबसे वरिष्ठ के तौर पर जाना जाता था। गठबंधन सेना ने यह भी दावा किया है कि पिछले हफ्ते इन्होंने हवाई हमले में फवाज़ अल रावि को मार गिराया जो इस्लामिक स्टेट के लिए पैसों का इंतजाम करता था।

भारी जानमाल का हुआ नुकसान
हालांकि, सीरिया में संघर्ष पर कड़ी नजर रखनेवाली ब्रिटेन स्थित मॉनीटर बॉडी सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमेन राइट्स का कहना है कि गठबंधन सेना की तरफ से किए गए हवाई हमले में काफी तादाद में नागरिकों के जान माल को क्षति पहुंची है। इसमें आगे कहा गया है कि रक्का और उसके आसपास के क्षेत्र में किए गए हवाई हमले में सिर्फ इस साल के भीतर करीब सात सौ से ज्यादा लोग मारे गए हैं। हालांकि, गठबंधन सेनाओं का कहना है कि उन्होंने पूरी पड़ताल की है और उनकी कोशिश है कि नागरिकों के जानमाल का नुकसान कम से कम हो सके।

क्या है सीरियाई लोगों की चिंता
यूएस समर्थित सुरक्षाबलों की तरफ से लगातार आइएसआइएस लड़ाकों को इसके गढ़ रक्का से खदेड़े जाने के बाद अब जो वहां पर बचे हुए लोगों के मन में जो सबसे बड़ी चिंता पैदा हो रही है वो ये है कि लड़ाई के बाद अब आगे क्या होगा? आइएसआइएस लड़ाकों को भगाने के बाद दर्जनों वालेंटियर्स शहर को दोबारा निर्माण के लिए काम कर रहे हैं। इसके लिए लोग वहां पर जिस संगठन के साथ जुड़ रहे है वह है रक्का सिविल काउंसिल (आरसीसी)। इसका मकसद कानून व्यवस्था को बहाल करना और शांति लाना है ताकि दोबारा यहां पर अगर हिंसा हुई तो एक नए तरह का कट्टरपंथी पैदा हो सकता है।

किसने की आरसीसी की स्थापना
आरसीसी की स्थापना इस साल अप्रैल में यूएस की अगुवाई वाली गठबंधन सेना के सहयोगी कुर्दिश और अरब सहयोगियों ने की थी, जिन्होंने इस महीने रक्का में आइएसआइएस के ऊपर कड़ी प्रहार करना शुरू किया है ताकि लंबे समय से जारी सीरिया के इस हिस्से से आतंकी शासन को खत्म किया जा सके। इस्लामिक स्टेट के खिलाफ अभियान को उस वक़्त और धार दी गई जब डोनाल्ड ट्रंप ने जनवरी में राष्ट्रपति का पद संभाला। उसके बाद अब इस्लामिक स्टेट के गढ़ रक्का और इराक के मोसूल दोनों ही जगहों पर इन्हें हार का सामना करना पड़ा है।

लड़ाई खत्म होने के बाद नई चिंता

दरअसल, आरसीसी का यह कहना है कि रक्का में लड़ाई खत्म होने के बाद की जानेवाली आगे की योजना पर काम पर तेज़ी नहीं दिख रहा है। आरसीसी वालेंटियर्स का कहना है कि उन्होंने गठबंधन सेना को यह बता दिया है कि करीब 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर की जरूरत होगी ताकि दोबारा पानी, बिजली और सड़कों समेत मूलभूत सुविधाएं मुहैया करायी जा सके। लेकिन, उसके लिए उन्हें सिर्फ एक छोटा सा डोनेशन इस काम के लिए मिला है।

क्या हो सकता है नया ख़तरा
ऐसे में इस बात को लेकर आशंका बढ़ गई है कि जिस तरह से इराक में साल 2003 में अमेरिकी हमले और उसके बाद हुई बर्बादी के बाद दोबारा निर्माण में विफलता के जो गंभीर नतीजे देखने को मिले जिसके बाद कट्टरपंथी इस्लामिक स्टेट का उदय हुआ कुछ ऐसा यहां भी ना हो।

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