जर्मनी में विरोधियों को नहीं मिल रहे मुद्दे, फिर हो सकता है मर्केल का बोलबाला
एंजेला मर्केल चौथी बार चांसलर बनने के लिए चुनावी मैदान में हैं। जर्मनी के लोग एंजेला मर्केल को गंभीर, दृढ़ इच्छाशक्ति और सही निर्णय लेने वाला मानते हैं।
नई दिल्ली (स्पेशल डेस्क)। जर्मनी में 24 सितम्बर को चुनाव होने हैं। जर्मनी के चुनाव में मुख्य मुकाबला क्रिस्चियन डेमोक्रैटिक यूनियन (सीडीयू) की एंजेला मर्केल और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (एसडीपी ) के मार्टिन शुल्ज के बीच है। एंजेला मर्केल चौथी बार चांसलर बनने के लिए चुनावी मैदान में हैं। जर्मनी के लोग एंजेला मर्केल को गंभीर, दृढ़ इच्छाशक्ति और सही निर्णय लेने वाला मानते हैं। चुनावी सर्वे और टीवी डिबेट के बाद पलड़ा इस बार भी एंजेला मर्केल के पक्ष में झुकता दिखाई दे रहा है। एंजेला मर्केल की पहचान न सिर्फ यूरोप में बल्कि विश्व में भी एक शक्तिशाली महिला के रूप में है। बीते रविवार को अमेरिकी चुनाव की तर्ज़ पर चांसलर एंजेला मेर्कल और उनके प्रतिद्वंदी मार्टिन शुल्ज के बीच डिबेट हुई थी। जर्मनी के नेशनल चैनल ARD के मुताबिक इस बहस में 49 प्रतिशत लोग एंजेला मर्केल के पक्ष में रहे, जबकि केवल 29 प्रतिशत लोगों ने शुल्ज की बातों की सराहना की। पिछले 12 वर्षों से मैर्केल जर्मनी की चांसलर हैं और इस दौरान उन्होंने अपने सामने आयी हर चुनौती को चाहे वो बाहर से आयी हो या पार्टी के भीतर से, सभी को बखूबी सुलझाया है। एंजेला मर्कल ने समय-समय पर ऐसे मजबूत फैसले लिए हैं जिनसे उनकी दृढ़ता का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
भारत के साथ रिश्ते
विदेश मामलो के विशेषज्ञ विवेक काटजू के मुताबिक भारत और जर्मनी की बीच हमेशा अच्छे रिश्ते रहे हैं। एंजेला मर्केल-नरेंद्र मोदी के बीच एक अच्छी केमिस्ट्री है। एंजेला मर्कल ने भारत के साथ हमेशा दृढ़, व्यापक और बहुउद्द्शीय सहयोग बढ़ने पर जोर दिया है। प्रधानमंत्री मोदी से पहले मनमोहन सिंह के साथ भी बेहतर संबंध थे। ऐसे में अगर वो फिर से जर्मनी की चांसलर बनती है तो ये भारत के लिए अच्छा होगा।
शरणार्थियों का मुद्दा
जर्मनी के चुनावों में मुख्य मुद्दा शरणार्थियों का है। जर्मनी की सभी राजनैतिक पार्टी शरणार्थियों को अपने यहाँ शरण देने पर सहमत है। हालांकि इसके क्रियान्वयन में अंतर जरूर दिखाई देता है। एक अनुमान के मुताबिक जर्मनी ने करीब दस लाख से ज्यायदा शरणार्थियों को अपने यहां पनाह दी है। इस तरह वामपंथी दलों के हाथ से एक और मुद्दा छीन लिया। मार्टिन शुल्ज की पार्टी शरणार्थियों के मुद्दे पर पूरे यूरोप में एक नीति चाहती है। इसके ठीक उलट मर्केल ने अकेले ही शर्णार्थियों के लिए अपने देश दरवाजे खुले रखे हैं। दुनिया में अमेरिका के बाद जर्मनी प्रवासियों का सबसे पसंदीदा देश है। बड़ी संख्या में प्रवासी जर्मनी में लम्बे समय से रह रहे है। जर्मनी में काफी संख्या में बड़ी उम्र के लोग शामिल है। जर्मनी की कम जन्मदर के चलते यहां पर काम करने वालों की संख्याा को लेकर हमेशा समस्याज बनी रहती है। यही वजह है कि यहां पर प्रवासियों या बाहरी लोगों की मांग काफी रहती है।
परमाणु बिजलीघरों का मुद्दा
मर्केल ने अपने 12 साल से कार्यकल के दौरान अपने फैसलों से हमेशा अपने विरोधियों के साथ-साथ जर्मनी के लोगों को भी चौंकाया है। मर्केल का परमाणु बिजलीघरों को बंद करने का फैसला कुछ ऐसा ही था। जापान में मार्च 2011 को फुकुशिमा में परमाणु बिजलीघर के हादसे के बाद मर्केल ने 30 जून 2011 को जर्मनी के 17 रिएक्टरों को तत्काल प्रभाव से बंद करने का एलान दिया था। फैसले के तहत जर्मनी में 2022 तक सभी परमाणु बिजलीघरों को बंद कर दिया जाएगा। यहां पर परमाणु बिजली के स्थान पर पनबिजली और पवनचक्की के माध्यम से बिजली पैदा करने को तरजीह दी जा रही है।
आतंकवाद का मुद्दा
एंजेला मर्केल ने म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस के दौरान इस्लाम पर अपनी राय देते हुए कहा था कि इस्लाम और आतंकवाद का कोई सम्बन्घ नहीं है। मर्केल ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में मुस्लिम देशो को शामिल करने की सिफारिश की। एंजेला मर्केल ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा सात मुस्लिम देशो के यात्रियों पर अमेरिका में प्रवेश प्रतिबंधित करने के फैसले का भी विरोध किया था। इससे पहले भी मर्कल ने साल 2010 में जर्मनी के राष्ट्रपति क्रिश्चियन वुल्फ के उस बयान का समर्थन किया था जिसमे उन्होंने इस्लाम को जर्मनी का हिस्सा बताया था। इस तरह उन्होंने अपने विरोधियो के एक और मुद्दे को छीन लिया।
सेमसेक्स मैरिज का मुद्दा
एंजेला मर्केल के लिए सेमसेक्स मैरिज पर फैसला एक बड़ी चुनौती थी। जर्मनी के सरकारी टीवी चैनल ने एक सर्वे के बाद बताया कि 73 फीसदी जर्मन और सीडीयू के 64 फीसदी वोटर समलैंगिक शादियों को कानूनी रूप से वैध बनाने के पक्ष में हैं। मर्केल हमेशा इसके खिलाफ रहीं लेकिन सीडीयू की सहयोगी एसपीडी और ग्रीन्स समेत दूसरी पार्टियों ने इसके पक्ष में नारा बुलंद किया। सहयोगी दलों ने तो गठबंधन के लिए इसकी शर्त रख दी। समलैंगिक शादी का कानून 30 जून को पास हुआ। मर्केल ने इसके खिलाफ वोट दिया लेकिन अब इस चुनाव के लिये ये मुद्दा खत्म हो गया है।
बेरोजगारी का मुद्दा
एंजेला मर्केल ने देश में बेरोजगारी के मुद्दे पर भी अपने विरोधियों को मौका नहीं दिया है। एंजेला मर्केल ने अपने 12 साल के कार्यकाल में बेरोजगारो की संख्या को आधा कर दिया है। 12 साल पहले जर्मनी में बेरोजगारो की संख्या पचास लाख थी जो अब घटकर 25 लाख रह गयी है। जर्मनी में पिछले दिनों ये चर्चा थी की पेंशन और सामाजिक सुरक्षा की योजनाओ में कटौती की जा सकती है। लेकिन एंजेला मर्केल ने इन सभी कयासों को सिरे से खारिज कर दिया है।
पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन का मुद्दा
ग्लोबल वार्मिंग यानि जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर एंजेला मर्कल ने दुनिया में खुद को जलवायु का रक्षक साबित किया है। खासतौर पर उस समय जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद को पेरिस जलवायु परिवर्तन से अलग कर लिया है। उनके इस कदम से जर्मनी में उनको खासी प्रशंसा और समर्थन मिला है। ग्लोबल वार्मिंग के मुद्दे पर उन्होंने विपक्षी दलों से एक और मुद्दा छीन लिया है।