बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी के शीर्ष नेता को फांसी की सजा
ढाका। बांग्लादेश में कंट्टरपंथी पार्टी जमात-ए-इस्लामी के वरिष्ठ नेता सईद को वर्ष 1
ढाका। बांग्लादेश में कंट्टरपंथी पार्टी जमात-ए-इस्लामी के वरिष्ठ नेता सईद को वर्ष 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ मुक्ति संग्राम के दौरान किए गए युद्ध अपराधों के लिए मौत की सजा सुनाई गई है।
देशभर में बंद के आह्वान के बीच युद्ध अपराधों की जांच के लिए गठित ट्रिब्यूनल ने इस्लामी नेता 73 वर्षीय दिलावर हुसैन सईद को मौत की सजा सुनाई। तीन सदस्यीय इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल के जस्टिस एटीएम फाजल कबीर ने फैसला सुनाते हुए कहा, सईद को मरने तक फांसी पर लटकाया जाए। तीन साल पहले युद्ध अपराधियों पर मुकदमा चलाए जाने के बाद से सईद जमात के तीसरे नेता हैं, जिन्हें ट्रिब्यूनल ने सजा सुनाई है।
120 पन्नों के फैसले में ट्रिब्यूनल ने सईद के खिलाफ लगे 20 आरोपों में से आठ को सही पाया। सईद को जून, 2010 मे गिरफ्तार किया गया था। उसे मुक्ति संग्राम में जनसंहार, बलात्कार और अन्य अपराधों का दोषी ठहराया गया था। ट्रिब्यूनल के आलोचकों का कहना है कि सईद और अन्य लोगों के खिलाफ लगाए गए आरोप राजनीति से प्रेरित हैं। बुधवार को हजारों लोगों ने राजधानी ढाका में सईद को मृत्युदंड दिए जाने की मांग करते हुए प्रदर्शन किया। सईद पर अल बद्र संगठन के साथ मिलकर कई तरह के अत्याचार करने का आरोप है जिसमें हिंदुओं से जबरन इस्लाम कुबूल करवाना शामिल है।
उल्लेखनीय है कि अपने नेताओं के खिलाफ अदालत में चल रही सुनवाई पर रोक लगाने की मांग को लेकर जमात-ए-इस्लामी समर्थक और पुलिस के बीच हुए संघर्ष में अब तक 15 लोग मारे जा चुके हैं। जबकि 200 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं।
बांग्लादेश में भड़की हिंसा, 32 की मौत
ढाका। बांग्लादेश गुरुवार को हिंसा की गिरफ्त में आ गया। कंट्टरपंथी पार्टी जमात-ए-इस्लामी के शीर्ष नेता को 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ मुक्ति संग्राम के दौरान किए गए युद्ध अपराधों के लिए मौत की सजा सुनाए जाने के बाद देश जल उठा। हिंसक झड़पों में तीन पुलिसकर्मियों समेत 32 लोगों की मौत हो गई।
देशभर में बंद के आह्वान के बीच युद्ध अपराधों की जांच के लिए गठित ट्रिब्यूनल ने इस्लामी नेता 73 वर्षीय दिलावर हुसैन सईद को मौत की सजा सुनाई। तीन सदस्यीय इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल के जस्टिस एटीएम फजले कबीर ने फैसला सुनाते हुए कहा, 'सईद को मरने तक फांसी पर लटकाया जाए।' तीन साल पहले युद्ध अपराधियों पर मुकदमा चलाए जाने के बाद से सईद जमात का तीसरा नेता है, जिसे ट्रिब्यूनल ने सजा सुनाई है। जमात-ए-इस्लामी मुक्ति संग्राम के विरोध में थी।
120 पन्नों के फैसले में ट्रिब्यूनल ने सईद के खिलाफ लगे 20 आरोपों में से आठ को सही पाया। सईद को जून, 2010 में गिरफ्तार किया गया था। उसे मुक्ति संग्राम में जनसंहार, दुष्कर्म और अन्य अपराधों का दोषी ठहराया गया था। ट्रिब्यूनल के आलोचकों का कहना है कि सईद और अन्य लोगों के खिलाफ लगाए गए आरोप राजनीति से प्रेरित हैं। 'डेली स्टार' की रिपोर्ट के मुताबिक, फैसला आने के तुरंत बाद देशभर में जमात-ए-इस्लामी और उसकी छात्र इकाई इस्लामी छात्र शिविर के कार्यकर्ता प्रदर्शन करते हुए सड़कों पर उतर आए। उन्होंने पुलिस चौकियों में आग लगाई और पुलिस कर्मियों पर हमला किया। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने ताबड़तोड़ गोलीबारी की। ठाकुरगांव, सतखीरा, चटगांव, मौलवी बाजार और सिराजगंज हिंसा के केंद्र बने रहे। स्थितियां तनावपूर्ण हैं। जमात-ए-इस्लामी ने 48 घंटे की राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। शनिवार को पार्टी विशेष प्रार्थना सभाएं आयोजित करेगी।
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