तिकरित पर इराकी सेना ने बोला धावा
इराकी सेना ने सुन्नी आतंकियों के कब्जे में जा चुके तिकरित शहर को वापस हासिल करने के लिए हमला बोला है। सेना के साथ शिया मिलीशिया के लड़ाके भी कंधे से कंधा मिलाकर लड़ रहे हैं। इस बीच, संसदीय संकट को खत्म करते हुए नए चुने गए सांसदों ने स्पीकर पद के लिए मतदान कर दिया है। रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को बता
बगदाद। इराकी सेना ने सुन्नी आतंकियों के कब्जे में जा चुके तिकरित शहर को वापस हासिल करने के लिए हमला बोला है। सेना के साथ शिया मिलीशिया के लड़ाके भी कंधे से कंधा मिलाकर लड़ रहे हैं। इस बीच, संसदीय संकट को खत्म करते हुए नए चुने गए सांसदों ने स्पीकर पद के लिए मतदान कर दिया है।
रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि तड़के सैनिकों ने वायु सेना की मदद से तिकरित पर कब्जे की जंग शुरू कर दी है। पूर्व तानाशाह सद्दाम हुसैन के गृहनगर पर कब्जा बरकरार रखने के लिए आइएसआइएस की ओर से कड़ा प्रतिरोध हो रहा है। पिछले महीने आइएस ने हमले शुरू कर देश के उत्तर और पश्चिम में कई इलाकों को अपने नियंत्रण में ले लिया था। तिकरित पहला शहर है, जिसे सरकार हासिल करने की कोशिश कर रही है। शिया मिलीशिया के साथ आने से सेना का मनोबल बढ़ा हुआ है। सलाहुदीन प्रांत के गवर्नर अहमद अब्दुल्ला जबूरी ने बताया कि राजधानी तिकरित के दक्षिणी हिस्सों पर सेना काबिज हो चुकी है। नागरिक सेना से मिले समर्थन की वजह से सैनिकों में उत्साह है। मगर मिलीशिया के लोग अपने अधिकारियों का कहना ही मान रहे हैं।
लड़ाई के बीच मंगलवार को ही सांसदों ने नए स्पीकर के मतदान किया। कार्यवाहक स्पीकर मेहदी अल हफीद ने मतदान कराया। सुधारवादी सुन्नी सांसद सलीम जबौरी इस पद की दौड़ में सबसे आगे बताए जा रहे हैं। इसके बाद प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति का चुनाव होगा। प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और स्पीकर पद पर चुनाव न हो पाने के चलते देश राजनीतिक संकट में भी फंसा हुआ है। तीन महीने पहले चुनी गई संसद का यह तीसरा सत्र था। पहले दो सत्र में सांसदों के बीच मतभेद खुलकर सामने आ गए थे। शिया प्रधानमंत्री नूरी अल मलिकी की स्टेट ऑफ लॉ के सबसे ज्यादा सांसद हैं। इसलिए वह तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के लिए अड़े हुए हैं। मगर सुन्नी और कुर्द सांसदों के साथ ही कई शिया पार्टियां भी उनकी खिलाफत कर रही हैं। विरोधियों का आरोप है कि मलिकी की नीतियां अल्पसंख्यक विरोधी हैं और उन्हें हटना चाहिए।
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