टीबी का पता अब 30 मिनट में चल जाएगा
वैज्ञानिक एक ऐसे सस्ते पोर्टेबल (उठा ले जाने लायक) यंत्र का विकास कर रहे हैं जिससे आधे घंटे से भी कम समय में टीबी का पता लगाया जा सकेगा। यह बैट्री से संचालित होगा और टीबी की सबसे तेज गति से जांच कर सकेगा। वर्तमान समय में जीनएक्सपर्ट विधि से कुछ घंटे में माइकोबैक्टेरियम टीबी डीएनए की जांच की जा सकती
वाशिंगटन। वैज्ञानिक एक ऐसे सस्ते पोर्टेबल (उठा ले जाने लायक) यंत्र का विकास कर रहे हैं जिससे आधे घंटे से भी कम समय में टीबी का पता लगाया जा सकेगा। यह बैट्री से संचालित होगा और टीबी की सबसे तेज गति से जांच कर सकेगा।
वर्तमान समय में जीनएक्सपर्ट विधि से कुछ घंटे में माइकोबैक्टेरियम टीबी डीएनए की जांच की जा सकती है। लेकिन इसके लिए विशेष प्रकार के उपकरणों और प्रशिक्षित कर्मियों की जरूरत होती है। इसलिए यह विधि विकासशील देशों और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अव्यावहारिक साबित होती है। अब स्टेनफोर्ड के केमिस्ट जियांगहोंग राओ और टेक्सास ए एंड एम हेल्थ साइंस सेंटर के माइक्रोबायोलॉजिस्ट (अणुजीव वैज्ञानिक) जेफरी सिरिलो एक ऐसा यंत्र तैयार कर रहे हैं जिससे टीबी की जांच आधे घंटे से भी कम समय में हो सकेगी।
अस्थि-मज्जा के वसा के हैं कई फायदे
वाशिंगटन। वैज्ञानिकों ने पाया है कि बोन मैरो (अस्थि मज्जा) से वसा जैसा हार्मोन निकालता है जिससे डायबिटीज, हृदय संबंधी बीमारियों और कैंसर का खतरा कम होता है। यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में पता चला है कि अस्थि-मज्जा में मौजूद वसा ऊतक एडिपोनेक्टिन हार्मोन का प्रमुख स्रोत है। यह हार्मोन इंसूलिन की संवेदनशीलता को बरकरार रखने में मदद करता है। इससे डायबिटीज, हृदय संबंधी बीमारियों और मोटापे से जुड़े कैंसर का खतरा कम होता है। पहले अस्थि-मज्जा के वसा ऊतकों को स्वास्थ्य के लिए नकारात्मक प्रभाव वाला माना जाता था।
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