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महिलाओं को काम में तवज्‍जो देकर 27 फीसद बढ़ सकती है भारत की नेशनल इनकम

IMF की MD क्रिस्टिना लिगार्ड का कहना है कि यदि भारतीय महिलाओं को काम मेंं तवज्‍जो दी जाए तो भारतीय की नेशनल इनकम में 27 फीसद का इजाफा हो सकता है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 15 Nov 2016 10:14 AM (IST)Updated: Tue, 15 Nov 2016 11:02 AM (IST)
महिलाओं को काम में तवज्‍जो देकर 27 फीसद बढ़ सकती है भारत की नेशनल इनकम

वाशिंगटन (पीटीआई)। भारत की महिलाओं को यदि पुरुषों के बराबर तवज्जो दी जाए और उन्हें उनकी तरह ही काम दिया जाए तो भारत की नेशनल इनकम में करीब 27 फीसद का इजाफा हो सकता है। यह कहना है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टिना लिगार्ड का। उन्होंने यह बात लॉस ऐंजेलिस में आयोजित 'वूमेसं एंपावरमेंट: एन इकनॉमिक गेम चेंजर' (Women's Empowerment: An Economic Game Changer) के मौके पर दिए अपने संबोधन में कही। उनका कहना था कि भारतीय महिलाएं देश की आर्थिक तरक्की में अहम भूमिका निभा सकती है। लेकिन इसके लिए जरूर है कि उन्हें बराबर का दर्जा दिया जाए। इस मौके पर उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय महिलाएं आर्थिक विकास की राह में गेम चेंजर की भूमिका निभा सकती हैंं।

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लिगार्ड ने कहा कि भारतीय महिलाओं को पुरुषों की तरह काम दिया जाना चाहिए। यदि उनके श्रम का सही आंकलन कर उन्हें काम दिया जाता है तो अमेरिका की नेशनल इनकम में करीब पांच फीसद, जापान की नेशनल इनकम में नौ फीसद और भारत की नेशनल इनकम में करीब 27 फीसद की तेजी आ सकती है। इसके लिए जरूरी है कि महिलाओं को काम के बेहतर विकल्प दिए जाएं, उन्हें काम के सुनहरे अवसर दिए जाएं। इसके अलावा उन्होंने महिलाओं और पुरुषों के बीच भेदभाव को कम करने, विविधता को बढ़ावा देने और दुनिया भर में आर्थिक असमानता को कम करने पर भी जोर दिया।

लिगार्ड नेे अपने संबोधन में कहा कि यदि किसी देश की आधी आबादी को यदि श्रम बाजार में काम करने के लिए हतोत्साहित किया जाएगा तो यह कुछ ऐसा ही होगा जैसे किसी विमान के एक पायलट को नजरअंदाज कर दिया जाए और वह अपने हिस्से में आने वाला विमान का एक इंजन बंद कर दे। ऐसे में विमान को उड़ाया नहीं जा सकेगा। लिहाजा यदि विमान उड़ाना है तो दोनों ही पायलटों को समान रूप से तवज्जो और सम्मान देना होगा।

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आईएमएफ की एमडी ने इस मौके पर उन लोगों और देशों की तीखी आलोचना की जो महिलाओं को समान अधिकार और तवज्जो देनेे से बचते हैं। उन्होंने कहा कि यह पूरे विश्व में देखा जा रहा है कि महिलाओं को इस तरह की समस्या का सामना लगातार करना पड़ रहा है। यहां तक महिलाओं को एक समान काम के लिए पुरुषों से कम पैसे दिए जाते हैं। लिगार्ड ने यह भी कहा कि यदि महिलाएं जॉब को तलाशने के लिए के लिए जाती हैं और उन्हें इंफोर्मल सेक्टर में काम करती हैं तो उन्हें एवरेज सैलरी दी जाती है। लेकिन जब वही महिलाएं फोर्मल सेक्टर में जॉब पाती हैं तो वहां भी वह पुरुषों के मुकाबले कम वेतन पाती हैं। जबकि उनका काम और पढ़ाई पुरुषों के ही सामान होती है।

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