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चंद मिनट में कैंसर का पता लगाने का तरीका ईजाद

एक भारतीय अमेरिकी वैज्ञानिक को कैंसर का आसान और सस्ता पेपर टेस्ट ईजाद करने में बड़ी सफलता मिली है। इससे न केवल कैंसर का पता लगाने की दर में सुधार होगा बल्कि जल्दी उपचार में भी मदद मिल सकेगी।

By Edited By: Published: Tue, 25 Feb 2014 05:40 PM (IST)Updated: Tue, 25 Feb 2014 05:41 PM (IST)
चंद मिनट में कैंसर का पता लगाने का तरीका ईजाद

वाशिंगटन। एक भारतीय अमेरिकी वैज्ञानिक को कैंसर का आसान और सस्ता पेपर टेस्ट ईजाद करने में बड़ी सफलता मिली है। इससे न केवल कैंसर का पता लगाने की दर में सुधार होगा बल्कि जल्दी उपचार में भी मदद मिल सकेगी।

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पढ़े : नई तकनीक रेडिएशन प्रभाव के बिना पता लगाएगी ट्यूमर का

प्रतिष्ठित मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी (एमआइटी) ने सोमवार को एक बयान में इसकी घोषणा की। इसमें कहा गया कि यह बिल्कुल प्रेग्नेंसी टेस्ट की तरह काम करता है। पेशाब के नमूने से महज कुछ मिनटों में यह जाना जा सकेगा कि एक व्यक्ति में कैंसर है या नहीं। इस पद्वति से संक्रामक रोगों का पता लगाने में मदद मिली है। यही नहीं नई तकनीक से इसी तरीके से गैर संक्रामक बीमारियों का भी पता लगाया जा सकेगा। इस तकनीक को एमआइटी की प्रोफेसर और हावर्ड ह्यूजेस मेडिकल इंस्टीट्यूट की 46 वर्षीय शोधकर्ता संगीता भाटिया ने विकसित किया है। भाटिया ने एक बयान में कहा कि हमने विश्लेषण के लिए एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ यंत्र का इस्तेमाल कर कृत्रिम बॉयोमार्कर के नए वर्ग को ईजाद किया।

दिमागी कसरत से बदलती हैं मस्तिष्क की कोशिकाएं

कार्यस्थल या घर पर सीखने और नए विचारों की खोज जैसे दिमागी जोर से आपके मस्तिष्क की कोशिकाएं बदलती हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया (यूबीसी) के शोध में कहा गया कि जब हम सीखते और याद करते हैं तो उस दौरान मस्तिष्क में महत्वपूर्ण सूक्ष्मतम बदलाव होते हैं।

शोध से पता चलता है कि सीखने के दौरान मस्तिष्क की कोशिकाएं उत्तेजित होती हैं। तब एक तरीके से एक छोटा सा फैटी एसिड मस्तिष्क में एक प्रोटीन डेल्टा-केटनिन से जुड़ जाता है। यह जैव रासायनिक सुधार मस्तिष्क की कोशिकाओं में बदलाव के लिए आवश्यक है जो सीखने के साथ जुड़ा हुआ है।

पाटर्नर की मृत्यु के 30 दिन के अंदर हृदयाघात का खतरा

साथी की मृत्यु के वियोग की मौत के खतरे के एक कारण के रूप में पहचान की गई है। नए शोध में आगाह किया गया कि साथी की मौत के 30 दिनों के अंदर हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है। अमेरिकी मेडिकल एसोसिएशन के जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक लंदन की सेंट जार्ज यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 30 हजार से अधिक 60 से 89 वर्ष के बीमार बुजुर्गो में दिल के दौरों या स्ट्रोक की दर का तुलनात्मक अध्ययन किया। उन्होंने बताया कि साथी की मौत से शोक संतप्त पुरुषों और महिलाओं में स्ट्रोक का खतरा 30 दिनों बाद घट जाता है।


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