एशिया में केवल भारत में कम हुई महिला सांसद
रिपोर्ट के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 2015 में संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 22.6 फीसद था जो 2016 में बढ़कर 23.3 फीसद हो गया।
संयुक्त राष्ट्र, प्रेट्र। बीते साल अंतरराष्ट्रीय और एशियाई स्तर पर संसद में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में मामूली बढ़ोतरी हुई। केवल भारत एशिया का एकमात्र ऐसा देश है जहां महिला सांसद कम हो गई। वैश्रि्वक अंतरसंसदीय संस्थान इंटर पार्लियामेंटरी यूनियन (आइपीयू) की रिपोर्ट में यह बात कही गई है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से एक दिन पहले मंगलवार को '2016 में संसद में महिलाएं : वर्ष की समीक्षा' नामक यह रिपोर्ट जारी की गई।
रिपोर्ट के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 2015 में संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 22.6 फीसद था जो 2016 में बढ़कर 23.3 फीसद हो गया। एशिया में 2015 के 18.8 फीसद से बढ़कर यह 2016 में 19.3 फीसद हो गया। यह बढ़ोतरी मामूली रही, लेकिन चुनाव कराने वाले सभी देशों मसलन ईरान, जापान, लाओस, मंगोलिया, फिलीपींस, दक्षिण कोरिया और वियतनाम में यह दर्ज की गई। केवल भारत इसका अपवाद रहा।
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रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 1994 में स्थानीय चुनावों में महिलाओं के लिए आरक्षण की शुरुआत की गई। राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं के लिए आरक्षण सुनिश्चित करने के मकसद से 2008 में एक संवैधानिक संशोधन पेश किया गया। हालांकि इस पर गतिरोध अभी भी बना हुआ है। इसके बावजूद महिला नुमाइंदगी में बीते साल भारत पिछड़ गया। जून और जुलाई 2016 में 244 सदस्यीय राज्यसभा में 27 महिलाएं ही चुनकर आई। कुल संख्या का यह केवल 11.1 फीसद है। पिछली बार यह आंकड़ा 12.8 फीसद था।
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रिपोर्ट में बताया गया है कि महिलाओं के राजनीतिक सशक्तीकरण को हल्के में नहीं लिया जा सकता। निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में हर जगह पर महिलाओं की आवाज शामिल करने के लिए नए सिरे से मुहिम छेड़नी होगी। संसद में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए और अधिक महत्वाकांक्षी कदमों तथा मजबूत राजनीतिक प्रतिबद्धता की जरूरत है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि 273 संसद में से 53 की महिला अध्यक्ष हैं। जिन देशों में महिला अध्यक्ष हैं उनमें भारत भी है। पिछले साल नौ महिलाएं संसद अध्यक्ष चुनी गई।