कुआलालंपुर। विदेशी निवेशकों को भारत आने का न्यौता देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रफ्तार और साहस के साथ सुधारों की दिशा में बढ़ने का वादा किया है। उन्होंने बीते दौर की कर प्रणाली को खत्म कर पारदर्शी और पूर्वानुमान योग्य कर व्यवस्था उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता जताई है। बौद्धिक संपदा अधिकारों की सुरक्षा का भी भरोसा दिया है।
शनिवार को पीएम ने आसियान-भारत सम्मलेन को संबोधित किया। उन्होंने भारत और आसियान को जोड़ने में सहयोग देने वाली परियोजनाओं को एक अरब डॉलर के लाइन ऑफ क्रेडिट की घोषणा की।
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प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया में भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था है। वह साढ़े सात फीसद की रफ्तार से आगे बढ़ रहा है। इसके निकट भविष्य में और तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। अब देश में खुला और स्वागत करने वाला माहौल है। सरकार पूरी रफ्तार और साहस के साथ सुधारों को आगे बढ़ाएगी। महंगाई की दर और राजकोषीय घाटा नीचे हैं।
इससे पहले आसियान व्यापार व निवेश सम्मलेन को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि बीते 18 महीनों में सरकार की ओर से उठाए गए कदमों के कारण महंगाई की दर घटी है, जबकि जीडीपी और विदेशी निवेश में वृद्धि हुई है।
अंतरराष्ट्रीय निवेशकों का भरोसा बढ़ा है। सुधार भारत में बदलाव लाने के लक्ष्य की दिशा में बढ़ने का एक मार्ग है। कहा, 'हमारा लक्ष्य सिर्फ सुधार का नहीं, बल्कि बदलाव के लिए सुधार करने का है। हमने बीते दौर की कर प्रणाली को खत्म कर दिया है, हम पारदर्शी और पूर्वानुमान योग्य कर व्यवस्था उपलब्ध करवाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।'
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जब मई 2014 में राजग सरकार सत्ता में आई थी तब उसके समक्ष ऊंचे राजकोषीय व चालू खाते के घाटे की चुनौतियां थीं। बड़ी संख्या में परियोजनाएं लंबित थीं और महंगाई ने सिर उठा रखा था। पीएम बोले कि विकास के फल को उन क्षेत्रों तक ले जाना होगा जो इससे वंचित हैं। इसे आबादी के निचले स्तर तक पहुंचाना होगा। आसमान की ऊंचाइयों को छूते हुए जिंदगियों को बदलना होगा।
18 माह में सरकार ने ये किया
-पीएम ने सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि 18 महीने के दौरान जीडीपी वृद्धि दर ऊपर गई और महंगाई दर नीचे आई। विदेशी निवेश ऊपर गया व चालू खाते का घाटा नीचे आया। राजकोषीय घाटा नीचे गया और रुपया स्थिर हुआ।
-सरकार कर व्यवस्था को पारदर्शी और सुस्पष्ट बनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है।
-निवेश के प्रवाह में नई जान फूंकने के लिए दूसरे स्तर के ढांचागत और वित्तीय सुधार पेश किए गए हैं।
-कृषि क्षेत्र में ढांचागत सुधार की दिशा में ठोस कदम उठाए गए हैं।
-नए राजमार्ग बनाने के कार्य की गति में वृद्धि हुई है।
-बीमा, रक्षा और रेलवे जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में एफडीआइ की अनुमति दी गई है।
-वस्तु और सेवा कर विधेयक संसद में पेश किया गया है। उम्मीद है कि यह 2016 से लागू हो जाएगा।