भारत के खिलाफ पाक के झूठ से वाकिफ थे होलब्रुक
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के लिए अमेरिका के पहले राजदूत रिचर्ड होलब्रुकअ'छी तरह जानते थे कि पाकिस्तानी जनरल भारत के खिलाफ आतंकी समूहों को दिए जाने वाले अपने समर्थन को लेकर उनसे झूठ बोल रहे हैं। इसके बावजूद वह इस्लामाबाद को दी जाने वाली सैन्य मदद में कटौती के खिलाफ थे। दो बार पुलित्जर पुरस्कार जीतने वाले डेविड रोड्स ने अपनी नवीनतम किताब बियॉन्ड वॉर रीइमैजिनिंग अमेरिकन इंफ्लुएंस इन ए न्यू मिडिल ईस्ट में यह दावा किया है।
वाशिंगटन। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के लिए अमेरिका के पहले राजदूत रिचर्ड होलब्रुकअच्छी तरह जानते थे कि पाकिस्तानी जनरल भारत के खिलाफ आतंकी समूहों को दिए जाने वाले अपने समर्थन को लेकर उनसे झूठ बोल रहे हैं। इसके बावजूद वह इस्लामाबाद को दी जाने वाली सैन्य मदद में कटौती के खिलाफ थे। दो बार पुलित्जर पुरस्कार जीतने वाले डेविड रोड्स ने अपनी नवीनतम किताब बियॉन्ड वॉर रीइमैजिनिंग अमेरिकन इंफ्लुएंस इन ए न्यू मिडिल ईस्ट में यह दावा किया है।
रोड्स के मुताबिक होलब्रुक ने सार्वजनिक रूप से भले ही पाकिस्तान की प्रशंसा की हो, लेकिन उन्हें इस बात का पूरा इल्म था कि पाकिस्तानी सेना भारत के खिलाफ छद्म युद्ध के लिए अफगान तालिबान की मदद कर रही थी। 2010 में होलब्रुक से हुई बातचीत का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि मैंने उनसे पूछा था कि अमेरिका पाकिस्तान को दी जाने वाली सैन्य सहायता में प्रति वर्ष एक अरब डॉलर की कटौती क्यों नहीं करता? इस पर उन्होंने कहा था कि इससे सिर्फ अमेरिका के प्रति अविश्वास बढ़ेगा।
किताब के अनुसार अमेरिकी सरकार में कई लोग ऐसे थे जिन्हें होलब्रुक की कार्यशैली पर आपत्ति थी। यूनाइटेड स्टे्टस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट के अधिकारी और कुछ राजनयिकों ने शिकायत की थी कि होलब्रुक का ध्यान पाक की मदद राशि पर रहता है। किताब में होलब्रुक के काम करने के तरीके, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई के साथ उनके तनावपूर्ण रिश्ते आदि का भी जिक्र है। 13 दिसंबर, 2010 को 69 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था।
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