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बच्चों की वृद्धि रोकने वाले जीन की खोज

वैज्ञानिको ने बच्चो के शरीर के कम विकास के लिए जिम्मेदार जीन परिवर्तन को खोज निकाला है। यह जीन परिवर्तन बच्चो मे होने वाले आईएएमएजीई सिड्रोम के लिए जिम्मेदार है। यह सिड्रोम एक तरह की गड़बड़ी है जो कि बच्चो के विकास को रोक देती है। इस खोज के बाद अब इस गड़बड़ी के लिए नए टेस्ट और इलाज खोजे जा सकेगे।

By Edited By: Published: Mon, 28 May 2012 02:11 PM (IST)Updated: Mon, 28 May 2012 02:14 PM (IST)
बच्चों की वृद्धि रोकने वाले जीन की खोज

वाशिंगटन। वैज्ञानिकों ने बच्चों के शरीर के कम विकास के लिए जिम्मेदार जीन परिवर्तन को खोज निकाला है। यह जीन परिवर्तन बच्चों में होने वाले आईएएमएजीई सिंड्रोम के लिए जिम्मेदार है। यह सिंड्रोम एक तरह की गड़बड़ी है जो कि बच्चों के विकास को रोक देती है। इस खोज के बाद अब इस गड़बड़ी के लिए नए टेस्ट और इलाज खोजे जा सकेंगे।

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इस अनियमितता के चलते च्च्चों का शरीर और अंग बहुत छोटे होते हैं, जिससे कि अक्सर जान का खतरा बना रहता है। हालांकि इस अनियमितता की खोज तो 20 साल पहले ही हो गई थी लेकिन इस बीमारी के लिए जिम्मेदार कारणों का पता वैज्ञानिक नहीं लगा सके थे।

यह शोध करने वाले कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के एरिक वाइलेन ने यह बीमारी सबसे पहले फ्रांस के दोच्बच्चों में देखी। उनकी उम्र तो तीन और छह साल थी लेकिन वे अपनी उम्र से काफी छोटे दिखते थे। वाइलेन ने लाइव साइंस को बताया कि मुझे इस बीमारी का कारण नहीं पता चल सका था। मैं 1993 से लगातार इस बीमारी की वजहों को तलाश रहा हूं।

एक अर्जेटीनियाई परिवार और दूसरे मरीजों की जीन संरचना का अध्ययन करते हुए आखिरकर वाइलेन को इस बीमारी की वजह पता चल ही गई। इस सिंड्रोम से प्रभावित कुल 20 मरीजों की पहचान की गई। और उनमें से कई लोगों ने अपनी जीन्स के परीक्षण के लिए नमूने दिए।

वाइलेन कहते हैं कि इस सिंड्रोम से प्रभावित एक परिवार के सभी सदस्यों में सीडीकेएन 1सी नामक जींस में परिवर्तन थे। हमें थोड़ी हैरानी भी हुई, क्योंकि यह परिवर्तन उस जीन पर हो रहे थे, जिसे बेकविद वीडमैन सिंड्रोम के लिए जिम्मेदार माना गया था। यह एक ऐसी बीमारी है जो शरीर और अंगों का आकार बड़ा कर देती है।

शोधकर्ताओं ने नेचर जेनेटिक्स पत्रिका को यह भी बताया कि ऐसी अनियमितताओं के शिकार लोगों में ट्यूमर होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। इनमें से सबसे साधारण विल्म ट्यूमर और गुर्दे से जुड़ा कैंसर है। विल्म ट्यूच्र बच्चों में किडनी कैंसर का एक प्रकार है।

यह बीमारी आईएमएजीई सिंड्रोम से भी ज्यादा व्यापक है जो कि 12 से 15 हजार नवचत बच्चों को अपनी चपेट में ले रही है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हैल्थ के अनुसार इस सिंड्रोम से हर पांच में से च्क बच्चे की जल्दी ही मौत हो जाती है।

वाइलेन कहते हैं कि एक ही अणु में दो तरह के कार्य मिलना एक असाधारण जैविक प्रक्रिया है। ए दोनों बीमारियां एक-दूसरे के ठीक उलट हैं। जीन में जब यह परिवर्तन उस पतले से भाग में होता है, जिसकी पहचान हमने की है, तबच्तो बच्चे में आईएमएजीई सिंड्रोम होगा। लेकिन अगर यह परिवर्तन जीन में कहीं और होता हैच्तो बच्चे को बेकविद वीडमैन सिंड्रोम होगा। यह वाकई अदभुत बात है।

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