असद को अलग-थलग करेगा जी-7, सीरिया से दूरी बनाने के लिए रूस पर बढ़ाएगा दबाव
इटली में जी-7 के विदेश मंत्रियों और मध्य-पूर्व के उनके समकक्षों की बैठक में यह सहमति बनी।
लुका, रायटर/प्रेट्र। दुनिया की सात बड़ी शक्तियों ने सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद को अलग-थलग करने का अभियान तेज कर दिया है। इसके लिए रूस पर दबाव बनाया जाएगा। मंगलवार को इटली में जी-7 के विदेश मंत्रियों और मध्य-पूर्व के उनके समकक्षों की बैठक में यह सहमति बनी। बैठक के बाद सहयोगियों का संदेश लेकर अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन मॉस्को रवाना हो गए।
जी-7 देशों में अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली और जापान हैं। इनके मध्य-पूर्व के सहयोगियों में तुर्की, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, जॉर्डन और कतर शामिल हैं। ये सभी देश असद को सत्ता से हटाए जाने के हिमायती हैं।
सीरिया में छह साल से जारी गृहयुद्ध में रूस के समर्थन के कारण ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय अब तक असद के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पाया है। लेकिन, पिछले हफ्ते सीरियाई एयरबेस पर अमेरिकी मिसाइल हमले के बाद से असद को हटाने की मांग ने फिर जोर पकड़ लिया है। इदलिब प्रांत के खान शेखहुन में रासायनिक हमले में सौ लोगों की मौत के जवाब में अमेरिका ने यह हमला किया था।
हमले के बाद उसने रूस से असद को समर्थन जारी रखने पर दोबारा विचार करने को भी कहा था। जी-7 की बैठक में ब्रिटेन और फ्रांस ने रूस पर भी प्रतिबंध सख्त करने का सुझाव दिया था। हालांकि सर्वसम्मति नहीं बनने के कारण इस संबंध में कोई फैसला नहीं हो पाया। ब्रिटेन और फ्रांस के प्रस्ताव का सबसे मुखर विरोध इटली ने किया जिसका मानना है कि अमेरिकी कार्रवाई ने सीरियाई संकट के राजनीतिक समाधान का एक नया और सकारात्मक अवसर मुहैया कराया है।
ट्रंप ने मर्केल, मे से की बात
सीरिया संकट पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल और ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरीजा मे से फोन पर चर्चा की। व्हाइट हाउस के मुताबिक दोनों नेताओं ने सीरियाई एयरबेस पर अमेरिकी हमले का समर्थन किया। रूस को यह समझाने पर सहमति बनी कि असद का सहयोग उसके रणनीतिक हित में नहीं है।
उम्मीद जताई गई कि टिलरसन की मॉस्को यात्रा से सीरिया मुद्दे के स्थायी राजनीतिक समाधान की दिशा में प्रगति होगी। इसके अलावा ईरान और उत्तर कोरिया की ओर से पेश किए जा रहे क्षेत्रीय खतरों पर भी बात हुई। उत्तर कोरिया की परमाणु महत्वाकांक्षा पर लगाम लगाने में चीन की भूमिका पर भी चर्चा की गई।
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