कॉल सेंटर घोटाले में चार भारतीय और एक पाकिस्तानी ने जुर्म कबूला
भारत स्थित कॉल सेंटरों से फोन के माध्यम से अमेरिका में धोखाधड़ी और मनी लांड्रिंग स्कीम में अपनी भूमिका स्वीकार कर ली है।
वाशिंगटन, प्रेट्र। अमेरिका में बड़े पैमाने पर हुए कॉल सेंटर घोटाले में चार भारतीयों और एक पाकिस्तानी ने अपना जुर्म कबूल किया है। उन्होंने भारत स्थित कॉल सेंटरों से फोन के माध्यम से अमेरिका में धोखाधड़ी और मनी लांड्रिंग स्कीम में अपनी भूमिका स्वीकार कर ली है। इस मामले में तीन भारतीय पहले ही अपना अपराध स्वीकार कर चुके हैं।
अमेरिका के न्याय विभाग ने बताया कि टेक्सास के डिस्टि्रक्ट कोर्ट के जज डेविड हिटनर के समक्ष तीन भारतीय राजूभाई पटेल, विराज पटेल, दिलीप कुमार अंबल पटेल और पाकिस्तानी नागरिक फहाद अली ने मनी लांड्रिंग के आरोपों को स्वीकार किया। इसके पहले दो जून को इसी अदालत में हार्दिक पटेल ने अपना जुर्म कबूल किया था। इन पांचों को सजा सुनाने की तारीख अभी तय नहीं की गई है। हार्दिक ने स्वीकार किया कि अमेरिका आने से पहले वह अगस्त 2012 तक भारत स्थित अपने स्वामित्व वाले कॉल सेंटर के काम का प्रबंधन करता था। उसकी भूमिका मैनेजर की थी और वह कॉल सेंटर घोटाले से जुड़े सभी फायदे और खर्च का विवरण अपने पास रखता था।
56 लोग बनाए गए आरोपी
पिछले साल 19 अक्टूबर को टेक्सास के संघीय ग्रैंड ज्यूरी ने 56 लोगों और भारत स्थित पांच कॉल सेंटरों पर धोखाधड़ी और मनी लांड्रिंग मामले में आरोप तय किया था। इस मामले में हर्ष पटेल, भरत कुमार पटेल और अश्विनभाई चौधरी पहले ही अपना जुर्म कबूल कर चुके हैं।
ऐसे करते थे ठगी
अहमदाबाद में स्थित कॉल सेंटरों के ऑपरेटर अमेरिकी आव्रजन सेवा या टैक्स अधिकारी बनकर लोगों को रकम जमा नहीं करने पर गिरफ्तारी या स्वदेश भेजने की धमकी देते थे। इन्होंने डेटा ब्रोकर्स और दूसरे स्रोतों से लोगों के बारे में जानकारी जुटाई थी और उन लोगों को निशाना बनाते थे, जिनके नाम टैक्स डिफॉल्टर लिस्ट में होते थे। गिरफ्तारी से बचने के लिए अमेरिकी 500 से 60 हजार डॉलर तक देने को सहमत हो जाते थे।
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